सेवायोजित शिक्षित उच्च पिछड़ी एवं अनुसूचित जाति की महिलाओं का अध्ययन | Sevayojit Shikshit Ucch Pichadi evm Anuchait Jati Ki Mahilon Ka Adhyayn
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
140 MB
कुल पष्ठ :
288
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)में भरे पड़े हैं। पति के प्रति उसकी पूर्ण निष्ठा, सेवा व आज्ञाकारिता की उपेक्षा
की जाती थी। इन पर अनेक प्रकार से सामाजिक व धार्मिक नियन्त्रण लगा
दिए गए, जो आगे चलकर और विस्तृत हो गए। धर्मसूत्रों और स्मृतियों के युग
में स्त्री की दशा पूर्णतः पतोन्मुखी हो गई । एक आदर्श हिन्दू पतिव्रता नारी अर्थात
वह पत्नी जो केवल अपने पति में आस्था रखती हो तथा जो पति की सेवा
को ही अपने जीवन का परम कर्तव्य व ध्येय मानती हो, एेसी नारी का वर्णन
करते हुए कपाड़िया ने लिखा है- “जिस प्रकार नदी सागर मँ मिलकर अपने
अस्तित्व को खो देती है, उसी प्रकार पत्नी से भी अपने आप को पति के
व्यक्तित्व मेँ मिला देने की आशा की जाती थी। उसके जीवन का एकमात्र लक्ष्य `
यह होता था कि वह पति की सेवा में कोई कसर न रखे और उसको सन्तुष्ट.
रखना ही अपने जीवन की एकमात्र खुशी माने”| परम्परागत भारतीय नारी का
वर्णन करते हुए राधाकृष्णन ने लिखा हे, “शताब्दियों से चली आ रही परम्पराओं `
ने भारतीय नारी को विश्व की सर्वाधिक निःस्वार्थी, सर्वाधिक धर्यवान नारी “बना |
दिया है, कष्ट उठाना ही जिसका आत्मगौरव है । इसी प्रकार हिन्दू नारी की `
भूमिका पर विचार करते हुए श्रीनिवास लिखते हैं कि “हिन्दुओं के सभी धार्मिक
एवं व्यावहारिक ग्रन्थों मे पति की अपेक्षा पत्नी के आचरण व॒ भूमिका के
सम्बन्ध में कहीं अधिक निर्देश मिलते हैं। इससे ज्ञात होता है कि पति की
तुलना में पत्नी की भूमिका अधिक सुनिश्चित एवं निर्दिष्ट थी। इस प्रकार पति.
की अपेक्षा ज्यादातर पत्नी को ही अपने लिए निर्धारित एवं बधे ढांचे का अनुसरण `
करना पड़ता था” । बौद्ध युग में भी शिक्षित स्त्रियां थीं, जिन्हें. उपाध्याया कहा রর রা
जाता था। अनेक महिलाएं अध्यापिकाओं का जीवन व्यतीत करतीं थीं, जो अपना | रा
शिक्षण कार्य उत्साह एवं लगन से करतीं थीं। ऐसी स्त्रियां उपाध्याया कहीं जातीं
_ थीं। व्यावहारिक शिक्षा में वह नृत्य, संगीत, चित्रकला आदि की शिक्षा ग्रहण करतीं...
थीं। नृत्य और संगीत में स्त्रियों की सदा से ही रुचि रही है।
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