फ़तेहपुर जिला पंचायत संगठन एवं कार्य तथा जिले के विकास में योगदान | Phatehpur Jila Panchayat Sangathan Avam Karya Tatha Jile Ke Vikas Men Yogadan

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Phatehpur Jila Panchayat Sangathan Avam Karya Tatha Jile Ke Vikas Men Yogadan by राहुल मिश्र - Rahul Mishr

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हालत दयनीय बनी हुई है । वे सत्ता सम्पन्न किन्तु ऐसी सत्ता के अतिरिक्त कुछ नहीं है जो . विपत्नता के रोग से ग्रसित है। वहाँ कोई विकेन्द्रीकरण लोकतंत्र नहीं है और नौकरशाह उन चुने हुए प्रतिनिधियों पर निजी स्वार्थों की पूर्ति हेतु पंचायतों को भंग कर देती है। लोग चाहें _ जो भी हों उनकी विचारधारा नहीं बदलती, पंचायती राज को गम्भीरता से नहीं लेते। बतौर ` फतेहपुर जिला पंचायतें इसका उदाहरण हैं। सुश्री मायावती ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में फतेहपुर जिला पंचायत के अध्यक्ष के वित्तीय एवं प्रशासनिक शक्तियों पर पाबन्दी लगा दी. শ্রী। इस सच्चाई के लिए कारण कुछ भी दोषी रहा हो किन्तु पहले दलगत दृष्टि से मुक्त होकर इसका निष्पक्ष मूल्यांकन करना होगा। समाजवादी तथा धर्मनिरपेक्ष रास्ते पर चलते हुए. ग्रामीण विकास, राष्ट्रीय एकता देश की प्रगति तभी सम्भव हो सकती है जब राजनीतिक हितों ` को ध्यान में रखे बिना पंचायती राज व्यवस्था को स्थानीय शासन का हिस्सा मान लिया जाय। . राजधानी के आदेश तथा जनता के मध्य कुछ जनता के प्रतिनिधि तैयार होने चाहिए जो स्वशासी इकाइयों के प्रतिनिधि ही शासन क विकेन्द्रीकरण के सिद्धान्त को इस दुःखद आशंका ` के साथ कि सत्ता उनके हाथ से निकल कर विपक्ष कै हाथ न आ जाय। एेसा गणराज्य कैसे कायम रहेगा, जो सत्ता क लिए उलञ्ची पार्टियों की रेतीली नाव पर टिका हो| लोगों केलिए दल होना चाहिए न कि दल के लोग, सिद्धान्त हावी हो जाय तो इससे विकास को एक झटका... लगता है ओर जनता के सहयोग से नयी सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक व्यवस्था का , निर्माण करने वाली एसी प्रक्रिया शुरू हो जाती है जो नोच-खसोट करने वाली प्रक्रिया के ` अनुरूप होती है। सदियों से चली आ रही वह व्यवस्था सामन्तवादी ओर उपनिवेशवादी युगो ` : से गुजरते हए हमारे समाज को बन्दी बनाया है, अवश्य समाप्त होनी चाहिए तथा सर्वहारा ` वर्ग को सत्ता प्रदान करके सार्वजनिक न्याय एवं विकास की आक्सीजन प्रदान करके उनको जीवन प्रदान करना चाहिए ১ লি চরে न ल ই न = == लोकतंत्र का व्यवहारिक दर्शन यह है कि इसमे समाज के सभी वर्गो, सम्प्रदायो, धर्मौ . के सभी पुरुषों, स्त्रियों और बच्चों की भूमिका रहती है । विकास प्रक्रिया का बुनियादी पहलू ` ` है। हैरिसन का कहना है कि जन सहयोग का सिद्धान्त सभी लोगो मे व्यापक रूपसे | अपनाया जाने लगा है। अधिकाधिक लोग यह बात मानने लगे हैँ कि यदि लोगों की शक्ति ` ` ओर संसाधनों को संगठित किया जाय तौ विकास की गति लायी जा सकती है। यह भी ` . चेतना आ रही है कि गरीबों को अपने जीवन व आजीविका को प्रभावित करने वाले फैसलों , भँ भाग लेने का मानवीय अधिकार है जिससे वे अव तक असमान सत्ता के ढे के कारण ` वंचित रहे है। इस विचार को संयुक्त रार के दूसरे विकास दशक के लिए स्वीकृत अन्तर्य विकास नीति मेँ शामिल कियो गया। इसमें कहा गया है कि विकास प्रक्रिया मेँ जनताके व न | ६. (6) এ




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