काव्य कल्पद्रुम | Kavya - Kalpdrum
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
492
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१६ . कान्य-कल्पद्रुम
उनकी काव्यरचना प्रायः उपयोगी और चित्ताकषक नहीं हो
सकती और न उनको काव्यावलोकन द्वारा यथाथे आनंदाजु-
भव ही हो सकता है। इसका कारण यही है कि वे आायः
साहित्य-शात्र से अभिज्ञ नहीं और न वे परिचित होने का
' “कष्ट ही उठाते हैं। काव्य-रचना एवं काव्य के आस्वादन के
लिये साहित्य-शासतर के अध्ययन की परमावश्यकता है। कविवर
संखक ने कहा है--
'अन्ञातपाण्डित्यरहृस्यमुद्रा ये काव्यम दघतेऽभिमनम्
ते गर्डीयाननयीत्य मंत्रान्दासदसप्वादनमरभन्ते \
( श्रीकंड-चरित )
निदान, काव्य-प्रणेता को एवं काव्य-प्रेमी जनों को काव्य-
निर्माण के साधन और उसके रहस्य अवश्य जान
लेने चाहिए |
काव्य के निर्माण होने में देतु--
कारण
क्या है ९ काव्य-प्रकाश में कहा है--
“शक्तिनिपुणताकोकशख्तकाब्याद्वेक्षणतत् ‡
काज्यशशिक्षयाभ्यास इति देतुस्तदुदरवे \*
शक्ति, निपुणता और अभ्यास काव्य-रचना के लिये
आधार हैं।
शक्ति--यह् काव्य का वीज-रूप एक संस्कार होता है।
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