बीकानेर नरेश | Bikaner Naresh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
116
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अधिकार-समसस््याए রি.
महायुद्ध के प्रारम्भ होते ही भारत के राजनेतिक आन्दो-
लन ने अपना रूप बदतला। श्रीमती एनीविसट ने भरद्रास में
स्व॒राज्य-आन्दोलन प्रारम्भ किया। यह एक अग्रेज महिला थी।
श्री तिलक ने इस आन्दोलन में सहयोग दिया था। अभाग्य-
वश युद्ध प्रारम्भ होने के कु समय बाद श्रीगोखले तथा संर
िसोजशाद मेहता _का स्वगेवास हो गया। अतः कामस में
गरम दत्त ने जोर पकड़ा! इस दल का श्राशय भारत के लिप
शीघ्र. ओपनिवेशिक स्वराज्य प्राप्त ऋरना था। इस आन्दोलन
को जनेता ने प्रोत्साहन दिया,
इस राष्ट्रीय आन्दोनन के ज्ञोकप्रिय होने के अनेक कारण
थे। वृटिश राजनीतिजक्षों ने अनेक बार कहा कि हम लोग
प्रजासत्तात्मक राज्यों की रक्ताके लिऐ युद्ध में सम्मिलित हुए हैं।
भारतीय इस युद्ध में तन, मन, घन से सहायता कर रहे थे।
নি राज्यों का रक्ता के लिए भारतवर्ष के योद्धा লিল হ
युद्धक्षओं मे लड़ रहे ये! भारतीय नेता कते थे कि जब हम
दूसरों की अधिकार-रक्ता के लिए लड़ रहे हैं तो हमें सी अपने
देश में अधिकार प्राप्त होने चाहिएँ। , देश की आर्थिक स्थिति
भी चिन्ता जनक थी। युद्ध के कारण प्रत्येक वस्तु क्रा मूल्य
पढ़ गया था। जनता को बड़ी- कठिनाइयां उठानी पड़ती थी ।
अतः श्रीमती एनीविसेन्ट तथा श्री तिलक ने इस स्थिति से त्लाभ
बठाकर जनता को स्वराज्य-आंन्दोलन की ओर आकर्षित किया।
झधिकतर भारतीय नरेश इस आन्दोलन की महत्ता
नहीं समझ सके, परन्तु महाराजा बीकानेर तथा कई और
.नरेशों ने इस आन्दोलन का.-महत््व समझ लिया | ये लोग
रूच्चे देश-भक्त थे। ये इस विचार से सहमत थे कि साम्राज्य
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