धोले दिन रो सुपनो | Dhoale Dhin Roa Sapanoa

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Dhoale Dhin Roa Sapanoa by ठाकुर रामनरेश - Thakur Ramnaresh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(३) हू दोकै-होकै पगल्या घरतौ मोकै दिवड घरे आयो। पड़यौ पड़ी विचारया लाग्यौ : भाईड़ा! कामड़ौ तो मुस्कल है । पण मुस्कल हूण में ई म्हारी खरी कसौटी है । कोई चिन्त्या नेड्‌ । आपां ने दारणो कोनी । इयां ई भक्तै स्याति री रमत दूती होसी? मोटिसरी पद्धति र माय इरे सार पैलां सूं कित्ती ई तालीम करणी पड़ती हूसी? हूँ ई थोड़ो भोदू तो हूं ई, कै पैलड़ै दिन सूं ई औ काम सरू कर दीनौ।पैलां मनै बांसूं जाण-पिछांण साधणी जोइजै । जणं কউ হক म्हारी कैया सुणसी अर कीं करसी। जठै छोरां रै मनड़ां रै मांय पाठसाढ् नई पण छुट्यां वाली हुवै, बठे काम करणै रौ मुतलव है भगीरथ रौ गंगा नै लावणौ। दूजै दिन कराणियै काम माथै बिचार कर *२ हूँ सूयग्या । रात तो दिन रा काम री जुगाढी अर आंवते काल रै काम रा सुपनां में ई ढकगी। साला उघड़ी ९ हूँ गयौ ।छोरा म्हारी दोब्ख्यूं फिरबा लाग्या अर हँसी उडांवता हुवे बियां गम्मत में, पण डरयां बिना कैया लाग्या : 'माड़साब| आज भक्कै छुट्टी देय दो नी? आज ई छुट्टी, छुट्टी, छुट्टी ।' हूँ बोल्यौ : ठीक जणां | छुट्टी ततो आज ई 'कररस्यूँ पण आखे दिन री नई, फगत दो कलाक री। पण ढबौ | हूँ थांने अक काणी कैपूं | रागढा शुणी | पछै आपां दूजी थातां करस्यां1' हूँ तुरत काणी उगेरी। अक हो राजा । वरि ही रात राण्यां । रा है शांत शुवर ॥९ शत राजकुंवरचां|' „ हाकौ-कूकौ अर रोषौ करतार छदा ग्ट গনী 8114 80771 हूँ काणी कैतो-कैतो थोड़ो टव यवि कीत्य (द|, ४ ९५४ वाक्‌ सरखा बैठी | इयां ठीक थोढ़ी लागै।' सै थोड़ा-थोड़ा टीक মিতযা, 11 71111711710 81 711৭1 गाड़साव! हड़ देणी कैदी, सा क 34 हूँ मुढक*र आगे बार 6 5% 519] 17107175719 %171111 ম্উল अर म्हेला-मंलाी र পাশা ৮5151 ভারা তা দয 54 27117 ৮11 71118118171 0 গা বিন 8 ४1५




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