एक्यूप्रेशर प्राकृतिक उपचार | Akyu Pressor Prakritik Upchar
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7.09 MB
कुल पष्ठ :
204
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ण्ि
पेरीडीयनोलोजी :--
चीन की थ्योरी के अनुसार शरीर में 14 मेरीडीयन हैं या 14 नदियों का प्रवाह
है, जिसे सामान्यतः शक्ति के प्रवाह कह सकते हैं! इस शक्ति के प्रवाह को चीन
में “ची” जापान में “की” और भारत में आद्यशक्ति के नाम से लोग जानते है।
आधशक्ति को भारत में अन्य नाम भी दिए गए हैं। जैसे कि ओजस, तेजस, घारक,
आण, वीर्य, चैतन्य और आत्मशक्ति। इस शक्ति को कोई “बायो इलेक्ट्रो मेग्नेटिक
करंट” भी कहते है। इस शक्ति के नेगेटिव और पोजेटिव ऐसे दो गुणधर्म हैं। इन
दोनों गुणधमों का संतुलन (बिलेसिंग) करना जिसे होमीयोस्टेसिस याने कि शरीर की
निसेगी स्थिति कह सकते है। इस संतुलन के अभाव (इम्बेलेन्स) वाली शारीरिक स्थिति
को रोगी कहेंगे। संतुलन के अभाव में कोशों को पहुंचने वाले ज्ञानतंतुओं के अथवा
रक्त के प्रवाह में दिक्षेप पैदा होने से कोश बीमार पड़ जाते हैं। एक्युप्रेशर असंतुलन
को दूर करके रक्त प्रवाह को व्यवस्थित करता है! इस तरह कोशो की स्वास्थ्य वृद्धि
होने से संबंधित अवयद कार्यरत होते हैं और रेग दूर हो जाते हैं! इस तरह यह
थेरेपी सूक्ष्म कोशों को प्रभावित करके अवयवों को रोग-मुक्त करती है। इसलिए यह
अधिक अभावशाली है।
शिआत्सु :--
यह पद्धति जापान की है। बहुत पुरानी है। काफी मात्रा में इसका प्रसार हुआ
है और सरकार-मान्य है। शिआत्सु में “शि” यानि उंगलियाँ और “आत्यु” यानि
दबाव! शरीर पर निर्धारित दाब बिन्दुओ पर दबाव देकर रोग-मुक्त करने की पद्धति
को शिआत्पु कहते हैं। इस पद्धति में दाब बिन्दु सारे शरीर पर फैले हुए हैं। इस
थेरेपी की थ्योरी यह है कि जब कोई अवयव बीमार हो तो उश्र अवयव के क्षेत्र में
ही निश्चित दाब बिम्दुओ पर दबाव देने से रोग दूर किए जा सकते है। हमारे चिकित्सा
केद्री मे इसका उपयोग किया जाता हैं!
जोनोलोजी और उसमें समाई रिफ्लेक्सोलोजी :--
जोनोलोजी जोन ध्योरी पर आधारित अति महत्वपूर्ण थेरेपी है। इसमें से
रिफ्लेंक्सोलोजी का जन्म हुआ है। रिफ्लेवसोलोजी पांव के तलवे में आए हुए दाब
बिन्दुओं द्वारा शरीर के संबंधित अवयवों और ग्रंथियो को रोगमुक्त करने की चिर्फित्सा
पद्धति है। इस थेरेपी का अभ्यास करने का हमास मुख्य हेतु है। इसलिए इसे
विस्तारपूर्वक समझ लेना जरूरी है। पाँव के तले के छोटे-छोटे दाब बिन्छू शशेर में
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