आधुनिक आर्थिक वाणिज्य भूगोल | Adhunik Aarthik Aur Vanijya Bhugol
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
54 MB
कुल पष्ठ :
440
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)याद्यूयात की कठिताई के कारण ऋशल कारीगरों की कमरे और बाजारों से दूरी के
कारण छ्द्योग-धन्धों में भी अनेक बाधायें फढ़ती यही वजह हुं के पवेतीय
प्रदेशों के भिवासयों का जीवन-स्तर मैदानों के तिवासियों की अपेक्षा कहीं पिछड़ा
हुआ होता है । ,
पर्वतों ते लाभ--परन्तु प्रतो से अनेक लाभ भी हैं। उननें कुछ तो प्रत्यक्ष
है पर अधिकतर अप्रत्यक्ष ही होते हैं । कु
(१) बहुत से देशों मे पर्वबतों के होने से ही वर्षा होती है या वर्षा
की भात्रा बढ़ जाती हे। वें हवाओं को रोककर या उनमें द्रवीभवत्र की
{> रेड! #
{नि >, ~ तर हद রি 2 स बेशक
क्रिया को शीघतर करवी जुलवाय पर ও पर डालत हूं | यह वाद साख को देनं
५ 5 শু ও २
ने ক দি সপ বাগ টি উনার কি, ডি सचय र् न न यथ ০ अ न ফেলে পা नु
५ <1-= ६ अता ट । हर्य स्ति ऋतु मे उच्तर का ठडा हवबाड, पि भारत स
ক লট कन = ১ सर সা यु > र क्ण न ^. শপ 9৫ দে भ जभ क হিরু. ফিরতি লে
स न कुव হাতা হাহ আাড वेव त्तु त दन्न् यपम् ( मनून् हुषा दक्ष
श्रेणियों से हारा कर এ ~ न ০৩
শি से बकरा कर वा करता ६ । (२) दूरूर , जध्य तो सेहो सदियों क्]
জি সিকি সি ५५७
হারার ५2 [र 2৭ বি [१
बन সং १ ৮৮০ হিলি কা শত আরশাদ | ৬ + कणे कत জান। भकष श ৯) पभा जल শো নস পৃ वि बाप, शेन ग्छ न भक পি 0 । 3]
হক নালা पर् पट्च करे द.हुज का आर भ्रमध्यताशण कुट रद्र লু অনা ই |
< स
০০১ পাপন ৯৪ লজ খা ह णक तते রি 1 সপ २.2 1.8 । तू জর পা পি পাপা म न নু শসা লী লী
খিক মহা उ न সিভি হি শুন चछ इन्यत ইহা एक एस नंदा हु
१५ छ টি
পি (भे টিতে কি 1] আস (সস
|
ৃ
1
£ 28
সস ই
জট ভূত কী জাহ সন্বান্তিজ दाकर कारे सायर मेड িদ্কী ই । অন্যান জী লিন
नदी में मिल जाती है ऑर फिर एडियाटिक सागगू के जा गिरती हैँ
भारत की नदियां भी पर्वतों तू विकरूती है ॥ (३) पबंतीय प्रवेश चराई জী उत्तय
साधन ह् । समशीत कटिवन्ध स्थित पर्वतीय प्रदेशों में पशु पालन करने वाल हजारों
पृ
निवासियों के जीवन का एकमात्र आधार वहां के मंदाद द चारागाह हैं। (४) पर्वत
के ढालों पर सघन वन होते है जिनसे उद्योगों के लिए भिन्न-शिन्न प्रकार का
स्याः साल प्राप्त होता है । (५) पांचवी बात यह ই ক্ষি पवंतों में खलिज पदार्थों
का भंडार होता हूँ । पव्॑तों की प्रावी चदन के वीच तांबा, सोना,
चाद}, सीसा, जस्त ओर अन्य वस्तुएं होती है। अयेक्षाकद नर्द)व चट्टानों में खनिज
तेल, कोयला, खड़ियां तथ्य बालू पाई जाती है। करदाडा, অন্দর राष्टू, मेक्सिको
আহ কল में अनेक खाने पर्वतीय प्रदेशों मे पाई जाती हें
को मांग का प्रयोग किया जाता है । (६) फिर হুল उवं
वाय और मनोहर दृश्यों से
आमोद-प्रमोद के लिए ज न अदेशे म वहतत से शह ~स জট
स्वास्थ्य-कन्द्र बन जादें है । (७) सातवां और अन्तिम लाभ यह है कि उनमें जलप्रपात
होते हैँ जिनसे जल-विद्य त् उत्पन्न की जध्ती है और उससे उद्योग-धन्धों को शक्ति
मिलती है। नावयें, स्वीडन, स्पेन, स्विदजरलैग्ड और इटली में ऐसे बहुत से जल-
प्रपातो घं विजलो पैदा की जाती है--
४१
রি
५१
नर्
ठीय प्रदेशों की स्वास्थ्यवर्धक
पत होकर हजारों की उंख्या में लोग वहाँ पर'
এ]
2 |
(५१५५ এ
User Reviews
No Reviews | Add Yours...