अम्रतलाल नागर का उपन्यास साहित्य | Amrat Lal Nagar Ka Upnyas Sahitya

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Amrat Lal Nagar Ka Upnyas Sahitya by प्रकाश चन्द्र मिश्र - Prakash Chandra Mishra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हिरी कथा साहित्य मे प्रवेश | [१९ के लिए तथा इन विपमताओं और जटिलताओ का समाधान प्रस्तुत कर उहें आदर्श रूप मे परिणित करने के लिए उत् समय एक नवीन साहित्य रूप की आवश्यकता महसूस होने लगी और “उपयास' इस अभाव वी पूतति-रूप मे सामने आया । आय साहित्यिक रूप भी उस समय थ कितु “जगत और जीवन की अभिव्यवित अब तक जिन साहित्यिवा रूपो द्वारा हो रही थी व जीवन पी प्रस्तुत विषम परिस्थितियों को चित्रित बरने में अपूण जान पडने लगे । कवि गौतधर्मी होने के कारण व्यक्ति स्वात*्य का उपास्तय होता है जिससे उम्की दृष्टि व्यक्तिगत अधिक होती है, सम्रष्टिगत कम । इसके विपरीत उपयागकार बाह्य प्रभावा को अधिक ग्रहण करता है। ५ उपयास वपर एक सामाजिक प्राणी के नाते समाज का सारा यवाय रूप अपनी बुद्धि क्षमता मौर अनभव वे' आधार पर प्रस्तुत कर देता है और * एसी बला, जिसे उपयाग वत्ते हैं, बंयछ समाज म ही उत्न्न हो सक्तती है जहाँ आाधिव লিন मताए व्यित को सोचने के लिए वाघ्य करती हैं ॥/* परतु हिंही उपायास साहि य माव इहां परिस्थितियों वी देन नहीं है। अग्रेजी उपयास साहित्य, विशेषकर रिचड फोल्डिग, गोल्ड स्मिथ, অন আাফটন, তি स सादि जते बथावारो राजा राममाहन राय, दयानद सरस्वती भसे भ।रतीय समाज~सुधारको एव वगला दै शरतचद्र जसे उपयासकारो फा प्रमाव भी हमारे उपयास-साहित्य पर पडा} “वगणा उप-यासो ने हिंदी को एक ओर तो अतिप्राइृत, अनिरजित, घटना बहुल ऐयारी उपयासो से मुक्त किया और दूसरी ओर शुद्ध भारतीय सस्कृति वी ओर उमुख किया।' ६ इस प्रवार हिंदी उपयास साहित्य जहा एक ओर विदेशी साहित्य से प्रभावित है, वहाँ दुयरी ओर अपने दंगी माहित्य से भी । पश्चिमी साहित्य से कला और शिल्प ( ठेकनिक ) को उसने अवश्य ग्रहण क्या है परतु उसकी दष्टि मूल्त भारतीय हो रही है 1 पश्चिमी उपयास-स्ाहित्य के विकास की जीवन यात्रा वई सौ वष पुरानी है, जबकि हिंदी उपयास अपने विरस के बभौ सौ वप भी परे नही कर पामा है किन्तु “अपेक्षाइुत इस थोड़े से ममय में हो उसकी विकास यात्रा ~ १० हिल्ली उपयास और यथायवाद त्रिमुवन घिह--पू० ४० २- वही प० ৫০ 1 ३- हिंदी साहित्य. आचाय हजारी प्रसाद द्विवेदी-प७ ৯০)




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