डिप्लोमैट | Diplomet
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
222
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)डिप्लोमिट | €
दिल्ली के इन्टीरियर डेकोरेटर मात्र ड्राइंगहूम या ऑफिसरूम ही
नहीं सजाते, वरन् ऐसा प्रतीत होता है कि ग्राहक अच्छा हो तो उसके
मन रूपो अन्तःपुर को मी खुशी-खुशी सजा देते हैं। इसके अलावा देशी-
विदेशी कूटनीतिज्ञों के साथ जरा घनिष्ठता होने से उनकी तथा उनके
साथ और भी बहुतों की सामाजिक मर्यादा बढ़ जाती है। मिस মাহা
इस पथ की नई-नई पथिक हमि प्रमीला कौल जैसा नाम, यश, अथं
च प्रसिद्धि होने मे अभी वहत समय लगेगा ।
मिस कौल के लिये कितने विदेशी इडिप्लोमेट विनिद्र रजनीयापन
करते हैं, इसका हिसाब देना मुश्किल है। जंगपुरा में बीरबल रोड पर
मिस कौल के फ्लैट में सुबह, दोपहर, शाम जब भी चाहे जाकर देखिये---
दो-चार डिप्लोमेट हमेशा मिलेंगे | हाँ, शाम के बाद गये तो फिर मिस
कौल दिखाई नहीं देंगी । पार्टी, कॉकटेल, डिनर । सब निपटाकर घर
लोटते-लौटते बहुत रात हो जाती है--एक, डेढ़ और कभी-क भी तो दो-
ढाई भी बज जाते हैं। वीक एंड की पार्थ्यों से लौटने में तो और भी
देर हो जाती है। मिस्टर पाकर, मिस्टर बर्गमेन अथवा और बहुत से
अनन्ता, एलोरा या खजुराहो की निर्जीव मृत्तियाँ देखने जाते हैं तो मत-
प्राणों को तरंगित, उल्लसित करने वाली सजीव मिस कौल को साथ
पाकर कला का वास्तविक आनन्द लेते हैं ।
दिल्ली में रहने वाले विदेशी डिप्लोमेटों में अधिकतर गर्मियों में
अपने-अपने देश उड़ जाते हैं और उनकी अवस्था दर्शनीय हो उठती है
जो अहनिश उनके चारों ओर उपग्रह की भांति चक्कर काटते रहते
हैं। मिस कौल की तरह जो लोय पाकर के साथ एक ही प्लेन में समर
कोसं ज्वायन करने के लिये सुदूर सागर पार के उस अनजाने देश को
नहीं जा पाते उन्हें इन दिनों वेम्सफोर्ड क्लब में विजनेस-मैन एवं
कन्द्रैक्टरों का संगलाभ करते देखा जा सकता है। शायद मसूरी या
नैनीताल घुृम-फिर आते हैं ।
मिस भारद्माज अवश्य अभी विदेशी यूनिवर्सिटी का समर कोर्स
ज्वाइन करने का आमन्त्रण पाने लायक 'थोग्य' नहीं हुई हैं । लेकिन--।
जाने भी दो वह অন।
कभी एपाइन्टमेन्ट लेकर और कभी विवा किसी खबर के मिस
भारद्वाज ने तरुण के पास आना-जाना शुरू कर दिया ।
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