तुल्सी जन्म भूमि | Tulsi Janm Bhoomi
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
104
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पर रंगनाथ चौधरी का कब्जा है।
७. सोशें से सम्बन्धित विद्वानों का यह दादा है कि नन्ददास क पुत्र कवि
कष्णदास ने 'वर्षफल' ओर 'सूकरक्षेत्र माहात्म्यः जैसी कृतियों की रचना १६५७ और
१६७० मे की थी, जिनसे जन्मभूमि की पुष्टि होती हे।
५. सेरो पक्ष के अनेक विद्वानों ने तुलसी की भाषा पर विचार किया है। उनकी
कई पाण्डुलिपियों का विवेचन करके यह सिद्ध करना चाहा है कि तुलसी की कृतियाँ
जिस भाषा मे रचित हैं. वह सोरों की है। उनके अनुसार रामचरित मानस भी अवधी मे
न होकर द्रजावधी मे रवा गयां है
६. तुलसी साहित्य में ब्रज संस्कृति के प्रभाव की चर्चा भी कई विद्वानो ने की
हैं। इसके सहारे उन्होंने तुलसी को सोरों निवासी सिद्ध किया है।
७. सोरों के समर्थन में अनेक स्थान अथवा अवशेष इंगित किये जाते हैं, जैसे
तुलसीदास की प्रतिमाएँ | सोरों में तुलसी की दो प्रतिमाएँ प्राप्त हुयी हैं। एक
आदमकद श्वेत सममरमर की है। दो प्रतिमाएँ काले पत्थर की हैं। जनश्रुति के अनुसार
ये दोनों बहुत प्राचीन हैं और इस कथन की प्रमाण हैं कि तुलसी का जन्म इसी क्षेत्र
में हुआ था-।
८ सोरों मे एक हनुमत मूर्ति को तुलसी द्वारा प्रतिष्ठित कहा जाता है।
६ यहाँ एक वटव॒क्ष है, जिसे तुलसी द्वारा रोपित बताया जाता है
१०, सोरों में 'रामचरितिमानस” की एक हस्तलिखित प्रति है, जिसे कुछ विद्वानों
ने गोस्वामी जी का हस्तलेख कहा है।
৭৭. फं० भद्गदत्त शर्मा ने तुलसी जन्मभूमिः तमक पुस्तक में ५४ पुरतकों का सदर्भ
देते हुए यह सिद्ध किया है कि असली सूकरखेत सोरों ही हैं।
१२. सोरो सामग्री से सम्बंधित कई राष्ट्रीय संगोष्ठियाँ आयोजित की गयी है,
जो काफी कुष सोरो के पक्ष में रही हैं।
१३. सोरों पक्ष का प्रथम संकेत गोकुलनाथ कृत दो सौ बावन वैष्णवन की वार्ता
से निकाला गया है। उसमे यह उल्लेख है कि नंददासजी तुलसीदास के भाई थे ओर
नंददासं वहीं कं निवासी थे! यही उल्लेख चोररी वैष्णवन की वार्ता में भी हैं।
१ हरिसिय रचित टीका में तथा कुछ अन्य अनैक काव्यो मे लिखा गया है कि
नंदलाल और तुलसीदास गुरुव“ बधु थे ओर सनौदिया ब्राहमण थे |
१५. नापादास रचित भक्तमाल' म लुलसीदास का विस्तृत जीवन चृत्त प्रस्तुतं
तुलसी जन्मभूमि १०
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