सत्यनारायण | Satyanarayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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३ खयुनारुषरः है। दुख पडे परतो प्राथना सुनाया करताहै कितु सुख मिएने पर सब दुघ भूल जाया करता है --- पड प्रायावे चक्र प्राणी होत बेहाल | यह मेरा है द्वय, घर यह स्त्री, यह चाल ॥ शोनक--महाराज } तो क्या द्रिद्वताके मिटानेके लिये दूसरा साधन नही ! ूत०- नी सबसे बहकर साधन सत्यनाराथण भगवानकी कथा खुनना है। उनकी खहठदस्रों ऐसी शिक्षाप्रद्‌ और घामिक घटनाएं हैं जिनके खुननेले प्राणी, माया मोहले घिरक्त होकर मोक्ष मागमें मश्न दो आवाधमन भूल जाता है। कि तु इन घटमाओंके सुननेके लिये अधि समय चाहिये। अस्तु विद्यानोने थोडीसी धरनाये कथारुपमे एकत्रित कर रचज़ी हैं। उहीं अम्लुतमथी कथाओं द्वारा अपनी जात्माकी पव्चित्रकर खकते हैं। अपने थित्तकों ईश्वरके चरणोंमें छगाकर मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं। शौन०-- महामुने | तब तो माया मोहसे श्रसित साखारिक प्राणियों की मनोश्खनतें खाथ इन धग्नाओको हृदय गम कराना चादहिप। मक्तिफि साथ साय सुक्तिका माग दिखाया चाहिये -- दिखादे आज बह कोतुक कि दुनिया दंग द्वी ज्ञाए | रिकादे धर्मकी शिक्षा अनोखा रंग छा चाए ॥




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