भारत में सामाजिक परिवर्तन कक्षा 12 | Bharat Main Samajik Perivertan Kaksha 12
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
391
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रदूषण नगरों की दूसरी प्रमुख समस्या है। प्रदूषण
बढ़ने के विभिन्न कारण हैं। नगर अपने गंदे मैले जल
एवं औद्योगिक कचगों के 40 से 60 प्रतिशत भाग
को समीपवर्ती नदियों में बहाते हैं। छोटे शहर अपने
कूड़े-कचरे तथा मल-मूत्र को खुले नालों के दूबारा
समीप की नदियों इत्यादि में डालते हैं। इसी तरह से
नगरीय उद्योग अपनी पुरानी चिमनियों से धुएं एवं
गैसों के द्वार वातावरण को प्रदूषित करते है। दिल्ली
मे वाहन उत्सर्जन द्वारा 64 प्रतिशत वायु प्रदूषण कौ
बात सभी जानते हैं। वास्तव में दिल्ली निर्विवाद रूप
से विश्व के सर्वाधिकं प्रदूषित नगरों मे से एक है। जो
जहर हम वातावरण में घोल रहे हैं वही हमें वायु, जल
तथा भोजन के रूप में मिलता है। यह क्रमश: असंख्य
रोगों तथा समस्याओं को जन्म देता है जिससे हमारा
जीवन दुखों एवं खतरों से भर जाता है।
इन सबके बाबजूद नगरीय क्षेत्रों में प्रदूषण की
समस्या को न केवल पहचाना गया है बल्कि परिस्थितियों
' को सुधारने के उपाय भी किए गए हैं। यहां तक कि
« भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने भी इसमें हस्तक्षेप किया
है तथा दिल्ली के समस्त प्रदूषण फैलाने वाली इकाईयों
को बंद करने का आदेश दिया हे। हाल ही में दिल्ली
में अप्रदूषणकारी संपीडित प्राकृतिक ईंधन (सी. एन.
जी.) का प्रयोग सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बसँ तथा
ओंोरिव्शा के लिए अनिवार्य कर दिया गया है।
नागौ द्वारा सभी दूसरी तरह कौ समस्याओं का
भी सापना किया जाता है जिस पर यहां संक्षिप्तता के
खयाल से विचार नहीं किया गया है। इन समस्याओं
में नगरीय गरीबी, नगरीय योजनाएं तथा नगरीय प्रशासन
प्रमुख हैं।
आधुनिकीकरण
आधुनिकीकरण एक प्रक्रिया होने से पहले एक विचार
है। चूंकि यह एक विचार है, इसलिए समाज विज्ञानी
भारत मे सामाजिक परिवर्तन
इसके अर्थं को लेकर एक मत नहीं है। द्वितीय विश्व
युद्ध के बाद के दशकों में औद्योगिक पूंजीवादी देशों
जैसे - ब्रिटेन तथा संयुक्त राज्य अमेरिका में माना जाता
था कि तीसरी दुनिया में आर्थिक विकास का मूलमंत्र
आधुनिकीकरण में निहित है। आधुनिकीकरण की
अवधारणा को पूंजीवाद द्वारा प्राप्त किए गए सामाजिक
विकास दूवारा समझा गया। इस प्रकार को व्याख्या के
द्वारा पश्चिमी चितक भारत जैसे विकासशील देशों को
यह समझाना चाहते थे कि पूंजीवाद की छत्रछाया में ही
आर्थिक विकास संभव है।
इस विचार के अनुसार आधुनिकीकरण तकनीकी
परिचय और उसके प्रयोग के ज्ञान पर आधारित है।
साथ ही, कई सामाजिक ओर राजनीतिक परिस्थितियां
आधुनिकीकरण को संभव बनाने के लिए आवश्यक
मानी गई हैं। इनमें से कुछ निम्नलिखित हैं -
1. स्कूली शिक्षा के स्तर में बढ़ोत्तरी
2. संचार माध्यमों का विकास
3, संचार तथा यातायात को उपलब्धता
4. लोकतांत्रिक राजनीतिक संस्थाएं
5. अधिक नगरीय तथा गतिशील जनसंख्या
6. संयुक्त परिवार के स्थान पर एकाकी परिवार ,
7. जटिल श्रम विभाजनं
8. धर्म का सार्वजनिक जीवन में घटता प्रभाव
9. पदार्थों तथा सेवाओं के विनिमय के लिए
पारंपरिक तरीकों के स्थान पर विकसित बाजार।
इस प्रकार आधुनिकीकरण सामाजिक व्यवस्था
में इन परिस्थितियों की उपस्थिति का परिणाम है। यह
स्पष्ट दै कि यहां आधुनिकौकरण शब्द् का प्रयोग
बहुत व्यापक अर्थ में हुआ है। इसलिए आधुनिकौकरण
के क्षेत्र तथा विस्तार के संबंध में हमें विभिन्न
अवधारणाएं मिलती हैं।
कुछ समाजशास्त्री आधुनिकौकरण को उसके
संरचनात्मक पक्ष तक सीमित रखते हैं तो कुछ उसके
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