देखें करें और सीखें कक्षा - 3 | Dekhen Karen Aur Sikhen Kaksha - 3
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
113
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)8 / सापाजिक विज्ञान : भाग 2
जब शैले अपक्षय द्वारा एक बार टूट जाती
है, तब जल, गतिशील हिम, पवन या गुरुत्वाकर्षण
इन छोटे-छोटे कणों को एक स्थान से हटा कर
दूसरे स्थान पर एकत्र कर देते हैं। इस प्रक्रिया
को अपरदन कहते हैं।
जैसे ही पृथ्वी का कोई नया क्षेत्र लावे के
जमने, हिमानी के पीछे खिसकने या समुद्र तल
के नीचे हो जाने के कारण अनावृत होता है, तब
अपक्चय की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाती है। परंतु यह
स्मरण रखना चाहिए कि अपक्षय तथा अपरदन
की प्रक्रियाएँ सर्वत्र तथा सदैव होती रहती हैं।
कभी-कभी एक प्रक्रिया दूसरे से अधिक स्पष्ट
होती है। जलवायु अथवा पर्यावरण में परिवर्तन
के कारण उनकी क्रिया की गति में अंतर हो
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अपक्षय तथा अपरदन की गति इन कारकों
पर निर्भर होती है --
० किसी स्थान का तापमान एवं वर्षा
° वनस्पति आवरण
भूमि का ढाल अपरदन को प्रभावित करता है
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तीव्र ढाल के कारण (ब) की स्थिति में अपरदन की गति अधिक तेज होगी।
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