जीव कर्म ईश्वर | Jiv Karm Ishvar

Jiv Karm Ishvar by विनयचन्द्र जैन - Vinay Chandra Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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११ तो क्यों कर मुझे प्रप्त होता कमी मो सुखी था मैं क्ब. जो हाता अभारी मे बुखं या चिन्ता न की वो कमो मो कि मेरे कमं हो मुझे है सतते में समझा हूं अब तो महाकोर स्वाम महावीर स्वामी महावीर स्वामी :। मै निश হিল करूंगा अपूर्य त्तपस्या मैं देखूगा होती है फिर कया प्रतिभा जो होते है कर्मों বন কই जो मारो वह होते है इतन टी सब द्ग्व के गायो कि जन तक यहु जीवन है ममताये रहता तो क्यों न इसे दुः ही दुग्व है मिलता में समझा तम्हीं न जो माग था ग्वाना यह प्राणी था उमस्त पर जा होकर के चलता यह गजता या स्वामो महावीर स्थामो महायोर কলা महावीग स्यामो ॥। भे आया ट अपन करमां को লাক ना कया ना उदाऊ उन्हे পুল पाकर मझे तो बतामो महावीर स्वामो-मद्रावीर ग्यासी महात्रोर स्वामी বলুক स्रामो मैं आया हूं प्रमु जी बारण ম नुम्हारो मरी ग्ला कर दो प्रमु जा हमारी यह्व रास्ता नो फिर मो न भूल कमी हो मुझ मागं पर लाभो ! स्वामी सहावीर स्वामी यही লীললা भाज दै भगो स्वामी मुझे হব্হা दा लुम महाकौोर स्वामी महावीर स्वामी महावीर स्वाभी 1॥ मैं जाक जमी हार तेरे !




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