विदेशी कपड़े का मुक़ाबला कैसे किया जाय ? | Videshi Kapade Ka Mukabala Kaise Kiya Jay ?

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : विदेशी कपड़े का मुक़ाबला कैसे किया जाय ?  - Videshi Kapade Ka Mukabala Kaise Kiya Jay ?

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about मनमोहन पुरुषोत्तम गाँधी - Manamohan Purushottam Gandhi

Add Infomation AboutManamohan Purushottam Gandhi

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
[ ग रुपया रह गया जब कि १९२९-३० में ५९० छाख रुपया. था। यह एक वर्ष से यसय ४९% की कमी हुई। ( देखिए नकृशा सं० ९, पृष्ठ ७३ ) । [ | हिन्दुस्थान को विदेश से जितना कपड़ा आता है है उसमें संयुक्त-राज्य का भाग १९३०-३१ में घट कर नकशा सं० ७५८% हो गया, जब कि १९२९-३० में बह भाग ६७५५१ च॒ ८ में वृद्धि था) देखिए नक्शा सं० ७ प्रष्ठ ६६) ! जीर जापान का भाग २९.३१ से वद्‌ कर १९३०-३१ मं ३६.११८ हे गया । इससे धकर षोता है क्रं निखिदा मार के विष्कार को कुछ सफलता मिली। परिसाण में संयुक्त राज्य से १९२९-३० में १९४५० लाख गज़ তা आया किन्तु १९३०-३४ स घटकर केबल ५५३० लाख হা काया; और, जापान से ५६२० लाख गज़ से घटकर ३२१० लाखगज आया (देखिए नक॒शा सं० ८, ए८ ६८)॥ १९२९-३० के लिए भारतीय रुई की फसट का अन्दाज ५२ लाख गाँठ का था, परन्तु ५९३०-३९ की पैरा ३० ( पुष्ठे फ़्लछ का अन्दाजु ४८ छा गांठ का हुआ। भारतीय ५३) मे बुद्धिः मिलों में भारतीय कच्ची रुई की सपत ६९२९-२० की २२४८ लाख गांठों से बद कर १९३०-३१ में २२९६५.




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now