एफ . एच . ब्रैडले का दर्शन | F . H . Bradale Ka Darshan

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F . H . Bradale Ka Darshan by लक्ष्मी सक्सेना - Lakshmi Saxena

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आमुख पटिकल्पनात्सक-दशंन की विधि का परित्याग : नवौन तकं शास्त्र का सुत्रपात : नव्य-भांग्ल-अध्यात्मवाद के सबसे महत्वपूर्ण समर्थकों में ग्रीन के पश्चात्‌ ब्रैडले आते है। वीसवीं शत्ताब्दी के प्रथम दो दशकों में जिस उत्साह के साथ इसके हाथों अध्यात्मवाद का समर्थेन हुआ নই संभवतः आल देश के दर्शन के इतिहास में पूर्व है। किन्तु ब्लेडले के पश्चात्‌ आग्ल दर्शन पुन: नितान्त सहजता के साथ यथार्थवादी परम्परा की ओर्‌ प्रत्यावतेन करता हुआ दिललायौ देता है । यह्‌ आश्चयं कौ वात है किन्तु इतिहास इस बात का साक्षी है । स्पष्ट हे कि अध्यात्मवाद! यहां की दार्शनिक परम्परा के अनुकल न या, इसलिए उसका स्थायी प्रभाव यहाँ की विचारधारा पर न्‌ पड़ सका । किन्तु ऑग्ल देश के लिए विदेशीय होने के बावजूद समकालीन दर्शन के अध्ययत्त के लिए, उसकी विविध दिशाओं में सक्रिय आंतरिक प्रेरणाओं को समझने के लिए, ब्रैडले के दर्शन का महत्व स्थायी ही रहेगा, इसमें कोई संदेह नहीं । अध्यात्मवाद का समर्थंव कौर उसका विघटन,# इन दोनों करा ही समानं रूप से श्रेय बैडले को है । ब्रैडले के विचारों के साथ न्याय करने के लिए यथाथ्थंवाद तथा अध्यात्मवाद के दृष्टिकोण-सम्वन्धी अन्तर को ध्यान में रखना आवश्यक है | सामान्यते; यह सोच लिया जाता है कि ये दोनों दृष्टिकोण एकान्तिक तथा परस्पर विरोधी हैं । कभी-कभी यह भी सोच लिया जाता है कि यथाथंवाद ऋष्य छ प्प पाए पतंग 7उ उ 7 णि ২0৫9502001005 5০1 ৪0605590127 90725570219018 ০৭59৩706595 [58108700200 07280196197) 0226 1325 ৮০ 3:0৫975(- 2১০ 0/:০015205 1885৫. 0 8726165 894 072 50181102176 01575.+ [09005 0. 1७, -..0916/ (८ 06६ 59166700019 एफ%00509099, 56००४6 59169050০44. 4




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