वेलि किसन रुकमणी री | Vali Krisan Rukmani Re
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
महाराज पृथ्वीराज -Maharaj Prithviraj,
स्व. महाराज श्री जगमाल सिंह जी साहब - Sw. Maharaj Shree Jagmal ji Sahab
स्व. महाराज श्री जगमाल सिंह जी साहब - Sw. Maharaj Shree Jagmal ji Sahab
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
340 MB
कुल पष्ठ :
930
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
महाराज पृथ्वीराज -Maharaj Prithviraj
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स्व. महाराज श्री जगमाल सिंह जी साहब - Sw. Maharaj Shree Jagmal ji Sahab
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अनसाधारगा का পাল এব বলা লা आर पायः सन्दा क जीतन
. व्यापारों से सस्बन्ध रखतों श्रीं। बोसरसात्मक দালান प्राय: বালা ५
आदि से सम्बन्ध रखती थी, जो जनसाथारगगा के सतब्र-प्रिय बोर
(1115: द्रा জ্বল প্রা गेसी कत्रिताअझ
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प्रत्येक घर परिचित रहता था । लोग पढ़ें-लिख नहीं होने थे, ता
भी व इनक सुनने, बाद करने एवं गाने के बड़े प्रेमों हुआ
करतेथे } 958
... पथ-साहित्य हो नहा ; गय-साहित्य भी वाजस्थानों में এনাম
च ) ५
से लिखा ज्ञाता रहा है। मसाध्यमिक्र काल में ते गद्य ने बढ़ी লাকা
उन्नति को | यहाँ तक कि हिन्दी के प्राचीनतम
गद्य के उदाहशा
रहता धा श्रार य ख्यात गद्य में हुआ करतो घी | प्रत्येक बात का .
विस्तृत बशान उनसे रहता था | राजस्थानी क्री एक प्रसिद्ध ख्यात-
म्नि ९
भूता नणसा नाम कण व्यक्ति की लिखी हुई है। उसमें समस्त ॥
राजस्थान का इतिहास दिया गया है। राजस्थानी को ये ख्याल ५३
मध्यकालतान भारतवष क इतिहास क लिखने में अमल्य सहायता
कराड शकर नहा हे इनक अलावा राजस्थान करा कथासाहित्य भौ
.. ब्रहयुत विस्तृत है | हज़ारों कहानियों की पुस्तक राजम्धानो मं पाः ४
जायगा जा चहत्कथासंग्रह को कहानियां से किसी कदर কাম
रचकन गी ।
राजस्थानी का एक ब 1 महाकाव्य प्रश्वीराजरासा हे।
খর 1
... यह महाकबि चन्द का बनाया हुआ है। परन्तु बाद में इसमें बहुत `
कचरे बटाया बाया गया है! यह महाकान्य हिन्दी-साहित्य मे `
£ ८ টু अद्वितोथ है । विक्रम की सत्रहवी सदी में बीकानेर क महागज `
५०० कं,
एण्डाराज न राजस्थान म एकर अमर काल्य
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