शुतुरमुर्ग | Shuturmurg

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Shuturmurg by श्यामानंद जालान - Shyamanand Jalan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हैं । इनको अपनो सोमाएं है । वह दाद दूये ह कि षह हमारी सीमाओंका ज्ञान न हो 1 झआापणमन्त्री ; फिर हमारी चुस्‍्तो और मुस्तेदो भी कुछ कम नहीं; गत वर्षकी राजाज्ञाके बादसे तो हम समूहोंकों भोड़में बदछतेका कार्य भी सफलताके साथ करने लगे हैँ ! शाजा + पह तो ठोक है छेकिल राजमहलके सामने खड्ा हुआ यह समूह--इसका बन्त बयों नहीं हुआ ? आाषणमल्त्री ; महाराज हमारे प्रयासे कोई ढील नती, लेकिन बुरा हो उत्त विरोधीकालबग | इघर हमने समूहौको মীন बदला और उधर उसने भीडकों फिर समूहमें बदल दिया। महाराज, अदुभूत “तेज है इस विरोधोलालकी बाणीमें 1 राजा + विरोधौछाल ! ऐसा रूगता हैं मह नाम पहले भी कभो सुना है। महामन्त्री : पदा भी दोगा, महाराज ! राजनंतिक व्याकरण पढ़ते सप्रप पद्‌ नाम प्रायः জান্তা ই? বাসা + [ भाषणमन्त्रोसे ] विरोधोलालका पूरा परिचय ? भआपणमन्त्री : वह हत बचे-शूचे समूहोंका नेता है महाराज, और आपकी होतियोंका घोर दातरु $ राजा 2 { सवयं ] हमारो नीतियोक! पोर एतु ? महाम्ी, धृतुरतगरीके सदसे बड़े सत्यवादोत़्ो हैँसियतसे बतला* इए--जया हमारो कोई नोठियाँ ই? भमन्द्रो 5 ुतुरतगरोके एक्माज सत्यवादीकी हैसियतते में जो कुछ कड्ढेंटा, सच कट्टैगा, पूरा सच फ्ट्रेणा और सचके सिवा कुछ मे कहुँगा । महाराजकों सिर्फ एक नौति है (विराम) कि नरी कोई तोति मरी! हतर




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