अध्यात्मतत्त्वलोक | Adhyatamttawalokh

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Adhyatamttawalokh  by श्रीयुत मोतीचंद झवेरचंद म्हेता- Shri Motichand Jhaverchand Mheta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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द ददद्‌ ह धनवती वक ८ নু ८६ कम क कर পরী [0 ৬ क क सावेमौम-सिदान्तः। श्रोमहावी र-प्रवचनम । पूरिसा ! सचममेव समभिजाणाहि | सघरुप आणाए से उबद्विए मेहावी मारं तरह ” । ( आचारांगसूत्रम | ) पभ दोसे निराकशा न विस्सेज्ज केणइ । मणसा वयसा चेव कायसा चेव अतसो ॥ ( सूत्रक्ृतांगसूत्रम | ) पगर्ट सश्ंसि घिति कुब्मह | एत्थोवरए मेहावी सव्वं पावकरम्म झोसह ” ॥ ( आचारांगसूत्रम्‌ | ) अप्पणा सचमेसेज्जा मित्ति भुएसु कप्पए ”। ( उत्तराध्ययनसत्रम्‌ । ) आसंबरो य सेयंवरो य बुद्धो य अहव अभो वा। समभावमावियस्पा छ मोक्सं न संदेहो ” ॥ শি রা ५९ 177; তি টি 7 १ 00 (44414414 114. 4 ८ महावीरमक्त-जेनाचायैः । ) পিং




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