संक्षिप्त जीवन चरित्र | Samkshipt Jivan Charitra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
18 MB
कुल पष्ठ :
468
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१७ |
ज्हाचर्य, अपरिभ्रह इन पांच बतों को यथा शक्ति पांले-येही
शहस्थो के आठ मूल गुण महा सुनियो ने वताए हैं ।
इस पुस्तक मे इन्दी दो शलोकं का कथन विस्तार से
बताया गया है--ऊपर हम कह शुके ह कि सच्चे घुलके लोजी
को सत्यमागं पाने के लिये खे देव, शाख, शुरु की श्रद्धा
रखके उनकी भक्ति करनी याहिये-इस कथन में हमारे तीन
नित्य कमे आजाते हैं-अर्थात् देव पूजा, गुरु भक्ति और स्वा-
ध्याय ( शास्र पढ़ना )। अन्य तीन का भाव यह है कि संयम
(त~ यह आत्मसंयम हमारे जीवन'को बनानेके लिये बहुत आव-
इच्छाओं को परि
-शुरोर को स्वाध्ययुक्त रखने व जीवन यात्रा सुखमय बनाने को स्वाध्ययक्त रखने व जीवन यात्रा खमय बनाने
के लिये अपनी इच्चाओं पर हमे अपना अधिकार जमालेना
আর কু জনে ঘন बता आह उन शुद्ध खान पान ब संगति से वचना च
जा यी
सादा और शुद्ध खान पान व पहनावरखना चाहिये हमे भारत
शत लल च स रना ज सतुषे रहना चाद्ये
च भारत क वने शद्ध वख को व्यवहार करना चाहिये । वेष्या .
सादि कौ संगति सें वचना चाहिये । ह
' धप भे हमको प्रत्येक प्राठ' काल और सायंकाल ध्यान
का अम्यासे करना चाहिये-एकांत में बैठ कर अपने आत्मा का अभ्यास करना -एकांत में बेठ आत्मा का
ध स्वभाव इस नीचे लिखे श्तोक के अनुरार विचारना
एकोह निमलः शद्दो ज्ञानी योगीद गोचरः |
वाचा संयोगजामावः मत, सर्वेपि सप्थाः ॥
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