श्री वचनामृत | Sri Vachnamrit
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
455 KB
कुल पष्ठ :
30
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( २७).
खत्यु के लिप तैयार !
म्म] साघु फकीर की शोभा तीन वातौ भेदै ।
(क) इष्टय की धिशाक्तना ।
(ख) शन्तः करण की शान्ति ।
(ग) निष्पाप बुद्धि ।
. ६६) लक्ष्मी के पात्रों और गर्स वालों को इन तीन
बाता से अदृश्य सम्बन्ध होता है 1
(क कलेश ।
(ख। अशुभविचार |
(ग) पाप का अधिक होता ।
(६०) बैराग्य चान् को क्षण क्षण का कर्म ईश्वरापंण
करना चाहिये। और घाणि का सदुपयोग करना चाहिये
(&१) बुद्धिमान् कौन ? जो संसार से प्रेम न करे ।
(६२) धनवान कौन ? ईश्वर ने जो दिया उसमें
सन्तुष्ट रहना ।
(६३) আন্ত कौन ? संसार जिसको फंसा न सके ।
(&७) फकीर यरा त्यागि कौन ? जिलमे संसार की
` क्ममना नही । ६
(&५) कृपण कौन ? जो ईश्वर ने धरन दिया है श्नौर
दान करने से संकोच करना है । ति
(&दे) चार भकार के बुद्धिमान् प्रञ्ु को वहत भिय हें ।
(क्र) कामना रदित विद्धान।
[ल] तत्व जानने वाला ऋपि ।
| ग] नघ्रत्ता चालला श्रः महेन्त
[धौं भञु कौ महिमा जानने वाला .त्यागी महात्मा |
[হও] উজ ভি से संसारी जीव भय करके भागते
हैं इसी प्रकार त्यांगी को भी संसार से दर रहना चाहिये ।
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