राजस्थान के शास्त्र भंडारों की ग्रंथ सूची | Rajasthan Ke Jain Shastra Bhandaron Ki Granth Suchi Part - 4

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Rajasthan Ke Jain Shastra Bhandaron Ki Granth Suchi Part - 4 by केशरलाल बक्शी - Kesharlal Bhakshi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ११ ) . हपदेशरत्नमाला भाषा (सं० १७६६) हरिकिशन का भद्गबाहु चरित (सं० १७८७) छत्तपति जैसवाल की मन- सोदन प॑चविशति भाषा (सं० १६१६) के नाम उल्लेखनीय हैं | इस भंडार में हिन्दी पदोंका भी अच्छा संग्रह है 1 इन कवियों मे माणकचन्द, हीराचंद, दौलतराम, भागचन्द्‌, मंगलचन्द्‌, एवं जयचन्द्‌ छावडा के हिन्दी पद उल्लेखनीय हैं । ३, शास्त्र भंदार दि० जेन मन्दिर जोबनेर ( ख भंडार ) „ यह शाञ्च भंडार दि० जैन मस्दिर जोवनेर मे स्थापित है जो खेजडे का रास्ता, चादपोल बाजार मे स्थित है । यद्‌ मन्दिर कव घना था तथा किसने वनवाया था इसका कोई उत्लेख नदीं मिलता है लेकिन एक भ्य प्रशस्ति के अनुसार मन्दिर की मूल नायक प्रतिमा पं पन्नालाल जी के समय में स्थापित हुई थी । पंडितजी जोवनेर के रहने बाले थे तथा इनके लिखे हये जलहोमविधान, धमेचक्र पूजा आदिं ग्रंथ भी इस भंडार में मिलते हैं | इनके द्वारा लिखी हुईं सबसे प्राचीन प्रति संवत्‌ १६२२ की है । शाख भंडार में ग्रंथ संग्रह करने में पहिले पं० पन्नालालजी का तथा फिर उन्दी के शिष्य पं० बख्तावरलाल जी का विशेष सहयोग रहा था । दोनों ही विद्वान ज्योतिष, अयुर्वेद, मंत्रशास्त्र, पूजा साहित्य के संग्रह में विशेष अभिरुचि रखते थे इसलिये यहां इन विपयों के ग्रंथों का अच्छा संकलन है | मंडार मे ३४० प्रंथ है जिनमें २३ गुटके भी है । हिन्दी भाषा के ग्रंथों से भी संडार में संस्कृत के ग्रंथों की संख्या अधिक है जिससे पता चलता है कि प्रंथ संग्रह करने वाले विद्वानों का संस्कृत से अधिक प्रेम था। भंडार मे १७ वीं शताब्दी से लेकर १६ वीं शताब्दी के प्रथो की अधिक प्रतियां हैं। सबसे भ्राचीन प्रति पद्मनन्दिपंचविशति की है जिसकी संब १५७८ मे प्रतिज्िपि की गई थी 1 भंडार के उल्ेबनीय अंथों में पं० आशाघर की आराधनासार टीका एवं नागौर के भद्रक ततमेन्द्रकी पि कृत गजपंथामंडलपूजन उल्लेखनीय ग्रंथ हैं.। आशाधर ने आराधनासार की यह वृत्ति अपने शिष्य मुनि विनयचंद के लिये की थी । प्रमी जी ने इस टीका को जैन साहित्य एवं इतिहास में अप्राप्य लिखा है । रघुबंश काव्य की भंडार में सं० १६८० की अच्छी प्रति है । े हिन्दी ग्रंथों सें शांतिकुशल् का अंजनारास एवं प्रथ्वीराज का रूक्मिणी विवाहलो उल्लेखनीय ग्रंथ द 1 यहां विहारी सतस की एक ऐसी प्रति है जिसके सभी पद्य वर्ण क्रमानुसार लिखे हुये हैं । मानसिंह का सानविनोद भी आयुर्वेद विष्य का अच्छा अंथ है । ४. शास्त्र भंडार হি, জন मन्दिर चौधरियों का जयपुर ( ग भंडार ) यह सन्दिर बोली के कुआ के पास चौकड़ी मोदीखाना में स्थित है पहिले यह 'नेमिनाथ के मंदिर? সি সি शै से ক ৬১০ ৯, ०५. স্ব के नाम से भी प्रसिद्ध था लेकिन वर्तमान म यह चौधरियों के चैत्यालय फ नाम से प्रसिद्ध है | यहां छोटा




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