वरांग - चरित | Warang-charit
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
21 MB
कुल पष्ठ :
411
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भयपूर्ण तियेश्च योनि
कोप-मान-वच्छना-लोम फल
तिर्यद्छ जन्मके कारण
कुभोगमूमि-जन्मकारण
करम॑भूमिज तियच्न-छलयोनि
उपसंहार
सप्तम सगं-
मनुष्यगतिका समन्य रूप
भागभूमि्या
भोगभूमिकी भूमि
का जलवायु
” की समता `
আৰ ভুদা
भोगभूमिके कारण
पात्रापात्र
दाता का स्वरूप
पात्र-दानभेद
कन्यादान विमर्प
दान विज्ञान
दान परिपाक
पात्रापात्र फल
पाणिपात्र
जन्मादिक्रम
मोगभूमियों फे शरीरादि
9. की आगखयु
> » विशेय्ताएँ
अष्टम समं
कर्म भूमियों के नाम-संख्या
कर्म भूमिजं के प्रधान भेद
आयं-अनाये
भोजवंडा
मनुष्यगतिकी उच्छृएता
मनुष्य की भ्रान्ति
धर्माचरणकी प्रधानता
परिग्रह) पापमूलता
पुण्यहीनं की गति
पुण्यका सुपाल
मनुष्यग तिके कारण
मनुष्यपर्याय की दुलेभतता
( ११ )
५०
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५२
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१३
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५५-६२
पष
29
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५६
११
५६७
१9
६४
११
६५.
११
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. | शरीर-अनित्यता
मनुष्योंकी आयु
नवम सर्ग--
देवगति के प्रधान भेद
भवनवासियोंके भेद
व्यन्तरों के भेद
ज्योतिषियों के भेद
वैमानिको के भेद
स्वर्गो की स्वना
विमानों का रुपादि बेन
देवगति के कारण
देवों की जन्म प्रक्रिया
देवों का शरीर-बेशिष्श्यादि
देवों के वर्गं
देवियां
देवों का आयु
द्शम सगं
मोक्ष की स्थिति
साक्षका महात्म्य
मोक्षगामी जीव
मोत्तसाधक तप
कर्मक्षय क्रम
मुक्त जीव का ऊध्वें गमन
समुद्रात
শশী শশী শশী ~~~ টীকা পোপ ~
मोक्ष गामियों की संख्या का नियम
मुक्ति उदाहरण
भक्तों का आकार-आधार
| सिद्धों का स्वरूप
| सिद्धों के सुखका निरूपण
संसार मोक्ष
एकादश सर्ग
झुमार वरांग क्रा प्रन
।
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| समय-स्थान-दरी रकी अपेक्षा
|
।
|
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। मिध्यात्य सम्यक्त्व कथनकी भूमिका
| मिथ्यात्व लक्षण-डदाहरण
| मिथ्यात्वकी सादिता-आददि
मिश्यात्वकी संसारकारणुता
सम्यगददीन का स्वरूप
६६
७१-७७
9८-८३
८३
८४-९३
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