मालिका | Malika
श्रेणी : उपन्यास / Upnyas-Novel
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
520
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)৮ স্পা
“नहीं तो 4
प्र 4.
“फिर क्या १
“इतने सीण क्यों हो गए हो ? इतना सुरम्ा क्या गण
হী १०
हृदय इसका क्या उत्तर देता ? वह छुछ नहीं कह
सका । इस कोलाहल-भरी नीखता से प्रशय की विह॒लता
नाच उठी ।
हृदय बच्चों की तरह चुपचाप सिसक रहा था। प्यार
की ऐसी सुहाग-भरी घडी में कोई दुखिया और कर ही क्या
सकता है १ वह् कैसे वताता फि इतने दिनों क भीतर उस
पर क्या बीती थी ! इस वीच भें न उसने मरपेट खाया थाः
न कमी नीद् भर सोने का दी अवसर पाया था । तिस पर
भी उसे आशा नहीं थी कि उसका पानो खाट से उठ कर
एक चार फिर उसे गले भी लगा सकेगा। बीमारी की सय-
रता ने उसे कायर वना दिया था । अविश्वाख शौर
आशङ्का ने उसकी सारी शक्ति छीन ली थी । मगर उसे इतन ˆ `
बातों का जैसे कुछ पता ही नहीं था। अपने कष्टो की न
उसे जानकारी थी, न परवाह । फिर वह अपनी क्षीणता
का कारण ही क्या वताता
प्रणय ने स्नेद-बिह्ल शोकर कटा-समम गया हीरो
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