सार्वदेशिक | Saarvadeshik
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
23 MB
कुल पष्ठ :
564
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रकरी, १६७४२ सावेदेशिक ॐ८६दे
मारत का प्रसिद्ध संस्कृति-केन्द्र, मोहन-जो-दड़ो
( भी सी. आर. राय-) एम. ए. बी. एल. क्यूरेटर, चिक्टोरिया स्यूजियम, कराची)
ने पोच हजार वर्ष पुराने शहर मोहन जो दड़ो का नाम सुना डी होगा|
कुछ वर्ण हुए. यह जमीन से स्कोदकर निकाला गया है) सिन्ध के लरकाना
जिले के डोकरी नामक स्टेशन से यद्द शहर आठ मील वूर है। प्रसिद्ध भारतीय पुणातत्त्यवेत्त
स्वर्गीय राखादास वेनर्जी ने सजसे पहसे पदतले सन् १६२२ में इस मोहन जो दड़ो का पता
लगाया था। तब से सरकारी पुरातत्व विभाग ने यहा काफी खुदाई की दे । स्वर्गीय बेनर्जी
की इस आश्चर्यजनक स्वोज ने एक इतनी प्राचांन किन्तु उन्नततर सम्यता को प्रकाश में ला
निस सभ्यता से वत्त मान ससार बिल्कुल अनभिश् था।
इम मसे हर प्क के लिये यह सम्भव नहीं है कि हम केवल खयडहरों और वहाँ से
प्रास पुरातन अवशेषधों को देखकर मोइन-जो-दड़ो के निवासियों की सस्कृति और सभ्यता के
वास्तविक महत्व को ठीक ठीक सममः रुके । इसका असली महत्व तो तभी हमारी समझ से
आ सकेगा जन हम प्राय ऐतिहासिक काल की पट भूमिका म मोहन जो दड़ो की सम्यता को
सम्म, श्नौर इन खुदाई से निकली हुई पुरातन छिच भिन्न वस्तुओं का सम्बन्ध मोहन-जो-दढड़ो
के भूले हुए लोगो फे साथ जोड़ । अक्षर अद्वर जोड़कर मोहन-जो दड़ो के इतिहास के
पुनर्निर्माणय की अनेक चेष्टाएँ को जा रही हैं और हर रोज हमे अतीत की इस मद्रकी पर नया
प्रकाश मिलता दे ।
मुझे सोहन-ओो दड़ो को खोदने और उसके सण्डहरों का अध्ययन करने का सौभाग्य
प्रास हुआ ! अपने व्यक्तिगत अनुभव और खोज से ओर अपने वूसरे साथियो के परिश्रम के
परिणामों से इस सम्बन्ध मे अन तक जो कुछ मालूम हो सका है उसकी रूप रेखा को पेश
करने का मै वहो प्रथल् करू गा, ताकि पाठक भारत की इस पुरातन सभ्यता का वास्तविक
महत्व ठीक ठीक समकक सके ।
सिन्धु नदी के पश्चिमी किनारे पर मोइन जो दढ़ो के निवासियों ने अपने नगर की
बुनियाद डालो । समानान््तर में बिछी दुई नगर की सीधी चोड़ी सड़को, गलियों और कूचों
को देखकर यह मालूम होता है कि नहुत ही दक्त इद्लीनियरों ने इसका नक्शा तय्यार किया
होगा । ये सककें और गलियें नगर के एक घिरे से दूसरे सिरे तक फैली हुई थीं और इनके
दोनों किनायों पर पकी हुई इंटों को इमारतें, महल और आलीशान मन्दिर ये। मानव सभ्यता
को मोइन-जो-दक़ो की लो सब मे बड़ी देन दे वइ ই उसकी सफाई के लिये जमीन के नीचे
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