गीतामंथन | Geeta Manthan

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Geeta Manthan  by किशोरलाल मशरूवाला - Kishoralal Masharoovala

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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डपोद्घात ५ नियमों एवं सिद्धान्तो को वुदेमता श्र व्याप्ता की नित्य नई प्रतीति £ হীতী আলী ই 1] | इसलिए, वह न समझना चाहिए कि गीता कोई गोलमोल श्रथवा शुप्त भाषा में लिखा अन्य ह ओर इसलिए वह गृहं} वात यह है कि हमारा जीवन निरन्तर विक्रासशील हैं. आर उसका प्रथकरण आसानी से সি नहीं होता, यही उसकी यूढुता का कारण है | दूसरे शब्दों में कहा जाय तो, गीता गट नदी रकि जीवन गृहे शौर चूंकि गीता जीवन से सम्बन्ध रखने वात्ता সল্প ই হুল कारण वह मूद-सा बन गवा है | ४ २ गीता का मन्थन बार-बार करना क्‍यों आवश्यक है, वह इस सम्बन्ध में इतना कह देने के वाद अब हम गीता की रचना पर विचार करे | गीता महाभारत का एक भाग हं । मदहामारत को समान्यतः इतिहास । कद्ा जाता है | किन्तु उसे साधारण अर्थ में इतिद्वास अथवा तवारीख या दैस्ट्रीकयना भूल दे | वदद इतिहास नहीं वल्कि ऐतिहासिक काव्य है। पाणडव और कौरव के जीवन की कई खास-खास घटनाओं का वर्णन करने के लिए कवि ने एक महाकाव्य के रूप में उसकी रचना की है | कवि का उद्देश यह नहीं कि वह बटना-क्रम का ज्यों-का-त््यों वर्णन करदे | उसका मुख्य उद्देश्य तो है एक महाकाव्य की रचना करना, ओर उत महाकाव्य के लिए उसकी मुख्य योजना है कुरुवंश क युद्ध को उसका अपना विपय बनाना | छाव्य होने के कारण इसकी कितनी ही घटनायें, कितने द्वी पात्र ओर | क्वितने ही विवरण आदि ऋल्पित हो सकते हूँ | इसमें अगर कहीं दो व्यक्तियों के वीच कोई संवाद आया हतो हमं यह नहीं समश लेना चाहिए कि वह संवाद किसी रिपोटर का लिया हुआ अथवा करंसीने ज्यों 2




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