जीवन्मुक्ति विवेक | Jeevanmukti Vivek
श्रेणी : दार्शनिक / Philosophical
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
218
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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कृपिमादि फर्म फा फल मिलता न दीख तो उसमे घच्तेमान उद्योरा |
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पोफनारूप योगफीा साधनेस फोनसा पढ़ा परिशग ए?
यादि तुम शा््थीय पुख्चायफी प्रारण्ण फर्म साथिफ पछघात् नए
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लीफिफ अलोफिफ एुखेफी प्राप्ति माग घतानवधाऊे सघ पी হারল
/ व्यर्थ ठदरंगे | एफघार कद्रावित् पुर्पाथेफा पर स दोय तो उसर्ते
सघ पुरपार्था पर. निष्फलताष्टा दोप टगाना विचष्ठा पुदपोषटी दामः
6 फिसीप्रकार भी उचिस नदी गिनाजासफता । यदि एफधार पुरुपाणे
| के निष्फ्छ (धोजानखस चए झसदा मिषप्फल एी मानाजाथ ता फिसी
/ राजाफे एफधार घुसे दारजाने पर फिर छसफी सना जादि युदुफी
| सामभ्रीष्ता त्याग ऐ फर देना वाएिय | परन्तु फिसी भी राजाने जज
লক্ষ হা ছিমা হট হত লাল ইলম या सननेम नदीं भाई ।
नखजीषएनयादादारपरिस्यागः, मिक्तकसयथाद्वा स्थाज्य-
নর
(१ ) घपा न दोनेपर छसफ्ते 'छिये जो किया जाता हे घद्द यश ।
০১১৩৪
কুসিক +
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