न्यूमोनिया - प्रकाश | Nyumoniya - Prakash
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
184
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)क
निमोनिया में वेद्य ध्यान रखे [ও]
निमोनिश मे उदय যান रखे-
2- ऋष्मा में लाली होती हे। यदि इसकी लाली बढ़ जावे तो
कष्ट-साध्य है |
२--श्वास-नाड़ी की विकृति।
३--मूत्र को अवस्था ।
४--रक्त में श्ववाणुओं की बृद्धि ।
४--निमोनियां एक फुफ्फुस ( सिंगल ) में अथवा दोनों फफ्फसों
में (डबल) है। दोनों फुफ्फुसों का भयानक होता है।
आयवेंदीय निदान में निमोनिया--
निमोनिया कोई साधारण रोग नहीं है, यह् अत्यन्त कष्ट
दायक ओर भयानक रोगों में से है। वर्तमान में इसे संक्रामक
ओर बहु व्यापक कहा जाता है |
आजकल प्रचलित आयुर्वेदिक श्रन्थों में किसी जगह भी
इसका इस राम से स्वतन्त्र वणेन नहीं पाया जाता । हां ! प्राचीन
रक्तष्ठीवी, उरुक्तत, चतजकास, पाश्च शूल, अभिन्यास, ककटक उवर
आदि २ रोगों के कुछ २ लक्षण इसमें अवश्य पाये जाते है।
चरकोक्त कफोल्बवण मध्यबात हीनपित्त को ही तन््त्रान्तरों
ने कर्कोटक! सन्निपात माना हे ओर इस ही के विशेष लक्षण
“নিনীলিঘা” रोग में पाये जाते हैं तथा भावमिश्र जीने सी
कर्कोटक-सन्निपात ऐसा ही माना हे।
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