Vatayan by विभिन्न लेखक - Various Authors

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सजबूरियों मे उनड़ डाने जैसा भी नहीं था, वह गुमताम लोग से पराभूत, धजात दूर हे प्रति चमत्कत एक बेवुनियाद भागममाग थी, हृद तो यह थी कि वह प्रपनौ जगह लौटकर चूकने तक को तैयार नहीं था. उसकी भाषा का यह बिच्छूपन लोगों के निम् को जलाने के लिए फेंका जाता था लेकिन सोपों को भपने घक्रव्यूह के प्रलावा कि प्रकार की भी फुरसत नहीं थी. मैंने भपने को डक से बचाने की कोशिश की, सनोहर का कहता था, वह जीने के लिए प्रदेशों ओर लोगों की तलाण करने के बेकाबू हो चुका है, कस्दे मे रोमोच मुर्दा हो गया है. यह एक नितांत मनोरनक घोष थी जबकि सच्च ई शहै थी कि उपने मूलत जोने से ही इनकार कर दिया गेरो भी से, पर के नाऊ ने पुराने माहटर साहब ने पंडित महाशय प्रौर पोस्ट माह जो ने यहाँ तक कि उस ड्राइवर ने भो जो स्‍भगती बस में बंठाहर मनोहर को एक गये के बाहर छोड़ भागा था बारस्वार मुझसे यही कहा छोड़ो भईया श्रपना काम के सोधी राह चलो, दुनिया ऐसी ही है. इस भुरभुरे तरीके से रहोगे तो जवानी के ज परबेवल पछतावा ही ह्वाथ प्रायेया. बेहतर है पैसा जोडरूर एक धाइक्लि ले लो ४ मोब! लगे तो जमोन का एक टुकड़ा, लोप बेहद शरीफ थे. वे जो शुछ भी कह रहे थे वह बरपते हुए प्यार जमाया : गुस्से का प्रनुभव हुप्रा पर मैंने गुप्मा नहीं किया. फिर मैं प्रपना काम तो कर हो २ था हैं मनोडर को गन घोटने का इरादा नहीं रसता था मैं उप्ते लगो मी नहीं मे रहा था. मैं उप्मे कभी नहीं उलका: मुझे केबल प्राद्मों भोर समाज को ताले समभला था मैं नोकरी बो प्रजियाँ भेशता रहा भौर पढ़ता रहा. मैंने लोगो থা? शहो दुपाया लेकिन ध्रग्दर-प्रन्दर में माना नहीं, धपने हो मार्ग पर चलता रहा, लोगों पा सही था कि मेरे झग्दर डिस किस्म का पभ्रादमों बन रहा है मैं विदोदीनेदीं' मेरा घागें निर्तांत सडियल, भाग्यधून्य शोर आम यथा. मैंने भपने माभूसी जोबन को: बदल चौदन्तों पहरेदप्टी के प्ररशर जिलाये रखते को ही तमरता की थो. हमारे ढस्बे बे साधारण लोग भयानक रूप से जुभने को बाद भी मचुर ये, माताएँ प्रप दमदों सतान को इस ताद वे साथ प्यार करती दीं कि सगता, उनका पहला दच्चा [ “इन प्यारे घोर भोंदू लोगो को यह नहीं एता था कि घम्मनिता का खगकर जात ले দূলখান হী हरह एक ह्राइपयेजनक গীত আন্ত যে है. मैं एड पुख्ता घाद शनो शौ धमिलादातेषटर {रन दस्दोख ददाते दुध्रा दना दपः ए, इन बोच पः जतह बी छोटरर घतपणनत लोग घले गये. इसमें से बितने हो वे सोयये डर दुनि दी रएपार ने प्दाब्‌ दर दिएा धौर फ्रि शहर चले जाड़े ढे भलावा उनके पास ष कोई মী হাতা লী খা. दतिशन लोगों दा शह सनुमब ( जी हों घनुमद बदोदि निशेद दर्जे दे तिरे (जमी হালহল। সন তব]




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