अनासक्तियोग और गीताबोध | Anasaktiyog Aur Geetabodh
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
167 MB
कुल पष्ठ :
343
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about मोहनदास करमचंद गांधी - Mohandas Karamchand Gandhi ( Mahatma Gandhi )
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)संतुति से खुशी और निन्दा से ग्लानि नहीं होती, জী.
_ मौनधारी है, जिसे एकांतप्रिय है, स्थिरबुद्धि है; वह
भक्त है। यह भक्ति आसक्तस्री-पुरुषों के भीतर संभव _
नहीं है । বা
इस तरह हम देखते हैं कि ज्ञान प्राप्त करना, ` ।
भक्त होना ही आत्मदशन है। आत्म-दर्शन उससे
भिन्न वस्तु नहीं है । जैसे एक रुपया देकर जहर भी `
खरीदा जा सकता है ओर अस्त मी लाया जा सकता
है, वेसे ही यह नहीं हो सकता कि कि ज्ञान या भक्ति _
.._ से बन्धन भी प्राप्त किया जा सके और मोक्ष भी।
. अहाँ तो साधन ओर साध्य बिलंकुल, एक नहीं तो
लगभग एक ही वस्तु है, साधन की पराकाष्टादही
मोक्ष है । और गीता के मोत्ष का अथ है परम शान्ति। ._
किन्तु इस तरह के ज्ञान ओर भक्ति को कमफल- `
त्याग की कसौटी पर चद्ना ठहरा । लौकिक करपना `
में शुष्क परिडत भी ज्ञानी माना जाता है। उसे कोई ८
काम करने को नहीं होता । हाथ से लोटा तक उठाना...
भी उसके लिए कमबन्धन है । यज्ञशुन्य जहोँ ज्ञानी `
गिना जाय वहाँ लोटा उठाने जैसी तुच्छ लोकिक हु ५
किया को स्थान ही केसे मिल सकता है ? ২
क् कल्पना में भनक्त से मतलब दहे बाह्मा-
User Reviews
No Reviews | Add Yours...