अथर्ववेद का स्वाध्याय | Atharvaved Ka Swadhyay

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Atharvaved Ka Swadhyay by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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2. 1 7. 32335 18:1:10%- 10% 1 /9॥४0।ि/४0४४/।ि0ििडिििइएलओरिओओ खृक्त १] आत्मोन्नतिका साधन । उ-उ ०००००००० ००००००० ००००००००<<<56<€5€6< €< <<< €€< << €< <€ € <<< =ॐ | (४) स्रखा धीत्ती घाचः अभ्रं अनयन्‌ मनी एकाप्रता +यानद्वारा £ ছা मूरस्यानङो पहुंचना । यह आत्मा स्थानक प्राप्त होनेका साधन ६ । वाणा कसी उत्पन्न होती है, यह देखिये-- जार्मा बुद्धवा समेदार्ध्पन्सनो युङ्क्ते विवक्षया । 33 93323222 23 95593239 2525232222 922 ~~~ >7~3 22232339 2522 93 ११ॐ-9१०339939392273334 जनः कयाथिसादहन्ति ख प्रेरयति सासुतम्‌ ॥8&8 1 सारुनस्तूरसि चरन्मन्द्रं जनयति खरम्‌ ॥७॥ सोदीर्णो द्टृध्न्येसिहते वक्छ्रमाप्य मारुतः । दणद्धनयते तेषां दिमागः पञ्चधा स्खछत्तः 1८1 (पाणिनीयशिक्षा) (१ ) आत्मा बुद्धिमे युक्त दोक्र विशेष प्रयोजनक्षा अनुसंधान करता दै, (२) पश्चात्‌ उस प्रयोजने शक्तय करनेन स्यि মলক্ঈ( नियुक्त करता 8, (२) मन शरीरके अभि को प्रोरेत करता है, (४) वह अग्नि चायुको गति देता है, (५) वह चायु छाठीसे ऊपर आकर मन्द्र स्वर करता है, (६ ) बह सूधामें आकर सुद्षके विविध स्थानोंमे आधात करता हैं, ( ७ ) विविध स्थागोमे आघात होनेके हारण विविध वर्ण उत्पन्न होते है, यही वाणी ই। वाणीकी इस प्रद्वार उत्पत्ति होती ह। जब मनुष्य ध्यान लगाकर वाणीकी उत्पत्ति देखता है और ( बाचः अन्न ) वाणीके मूल स्थानक प्राप करता है, तथ वह उस स्थानमें आत्माक्षो देखता है| हस प्रकार वाणीक्के मूलको इूंढनेके यस्‍्नसे आत्माकों जाना जाता हैं। वाणीके मूलभागकी देखनेकी क्रिया अन्तम्ुुंख होकर अर्थात्‌ अन्द्रकी ओर देखनेसे बनती है। जैसा- पहिले कोई प्ब्द लें। वह शब्द कई अक्षरोका-अर्थाद्‌ वर्णोका बना होता है, ये वर्ण एक ही वायुके मुखके विभिन्न হ্ঘানাঁমী আঘান होनेसे ১৯১ ৯২ ০ ৯ जा ६ उत्पमन होते दै, वर्णोत्पत्तिके पूषे जो वायु छातीये चरता ३, उसमे ये षिदिध वर्ण नहीं होते है । उससे भी पूर्षे जज बायुकों अग्ने प्रेरणा देता है, उसमें तो शब्दका नाम तक्त नहीं दोता है। ह्सके पूरे सनकी प्रेरणा है और इससे भी पूर्व आत्माक्ी बोलनेकी সবি होती है । इस रीतिसे अंदर अंदर की ओर देखनेका प्रयत्न मानसिक ध्यानपूर्तक न प की ~ 4 4 „24 ध 411 रध 2 4 1 प গে নল 51 6০] ~ ध) ঞ& === =-= === <= =-= === >= 233 পাস ७ > 2929522 229 টট ৯১3১১১১১১১১) ১3933332339 93533223332)23 ১১৯3252959252299 9358953১১১১ 25259593359 2922939282 পট




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