व्यक्तित्व निर्माण में शास्त्रीय संगीत की भूमिका | Vayaktitv Nirman Men Shastriy Sangit Ki Bhumika

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Vayaktitv Nirman Men Shastriy Sangit Ki Bhumika by महेश कुमार भारतीय - Mahesh Kumar Bharatiy

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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व्यक्तित्व से संगीत पर क्‍या प्रभाव पड़ता है। परस्पराक्षेपी पदार्थों का यह सार्वभौमिक नियम है कि वह एक दूसरे पर पूर्णतया आधारित होते हैं। संगीत क्‍या है ? संगीत और व्यक्ति में परस्पर क्या संबंध है, संगीत की उत्पत्ति कैसे हुई, वैदिक संगीत कैसा था, पुराणों में संगीत, रामायण काल, उपनिषदों, महाभारत काल में संगीत की क्‍या दशा थी? इन सभी पर हमें थोड़ा प्रकाश डालना प्रासंगिक होगा। संगीत शब्द का अर्थ है 'सम्यग रूपेण गीयते इति संगीतम्‌' अर्थात जो सभी प्रकार से गाया जाये उसे संगीत कहते हैं। संगीत वह ललित कला है जिसमें स्वर, लय, ताल के माध्यम से संगीतज्ञ अपने मनोगत भावों को व्यक्त करता है। संगीत का क्षेत्र अत्यंत व्यापक एवं विस्तृत है। इसका सम्बन्ध मानव-जीवन से है या यूँ कहें कि संगीत मानव जीवन की अभिव्यक्ति है। संगीत में मानव जीवन का साक्षात्‌ दर्शन होता है। वीर, रौद्र, करुण, श्रृंगार, भयानक, अदभुत, हास्य तथा शांत आदि जितने भी रस हैं उन सबकी अभिव्यक्ति संगीत के माध्यम से ही संभव होती है। संगीत मे भाव पक्ष ओर कला पक्ष दोनों का समन्वय मिलता है। कला पक्ष में कला ओर भाव पक्ष मे जीवन का बिम्ब परिलक्षित होता है। भाव पक्ष एवं कला पक्ष से आनन्द की सृष्टि होती है जो मानव जीवन की परम निधि हे। संगीत का आधार नाद कौ बताया है। नाद अत्यंत सूक्ष्म और व्यापक हे, प्रकृति के कण-कण मे इसकी सत्ता पाई जाती है इसलिए संगीत भी




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