सात इनकलाबी इतवार भाग - 3 | Sat Inkalabe Itawar Bhag - 3
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
43 MB
कुल पष्ठ :
203
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)थ सात इनक़लाबी इतवार आ ३०१
एक्सट्रीमाड्रा में एक चुलबुला शलभ है जो कभी अपना रंग-बिरंगा
शरीर चमकाकर उड़ता है, कभी श्रपनी कोहनियाँ ऊपर उठाकर
पृथ्वी पर शान्त-सा लेट जाता ओर कुचल जाने को प्रदीक्षा करता है |
पुतंगाल के समीप एक असाधारण कीट है। कितनी ही देर के.
बाद सामर यह निश्चय कर पाता है कि वह जुगनू है ।
यह छोटा सा जानवर,” वह एमिलिया से कहता हैं, अंधकार में:
हरा प्रकाश देता है ।”
तत्पश्चात् वह उसका ठीक स्थान बताते हुए पूछता है---
6ुम्हें मालूम हे कि यह कोन-सा स्थान है।
“यह कैस्टीब्लेंको है ।
“बिलकुल ठीक !!
कैस्टीब्लेंको में एक प्रकाश है | उसके दाहिनी ओर स्पेन है. जिस
पर अंधकार छाया हुआ है या जहाँ पानी से भरी हुईं नीची भूमि पर
चमकते हुए चंद्रमा का क्ञीण प्रकाश है | मॉनक्लोआ अ्ररण्य के अंत
. पर, स्पेन के प्राकृतिक नकशे के चारों ओर जो रेलिंग लगी हुई है उस-
पर कोहनियाँ टेके हुए सामर ओर एमिलिया खड़े हैं। द
बैलियरिक टापुओं को इंगित करती हुई एमिलिया कहती है--
“देखो, वह भूमध्य सागर है ।!
हाँ,” सामर ने उत्तर दिया, यही खीश्टीय सभ्यता का सागर है,
ईसा और अ्फ़लातून की सभ्यता का समुद्र । यह वास्तव में दुर्बुद्धि का...
सागर है !? ः
यह समुद्र प्रायः शुष्क था | सामर ने एमिलिया को रोज़ालीज़ की...
ओर टहलने को भेज दिया | फिर उसने फ़्रारमेन्टरा ओर वैलनशिया
के मध्य में लघ॒ुशंका की । भूमध्य सागर अ्रत्र काफ़ी गहरा प्रतीत
होने लगा । `
User Reviews
No Reviews | Add Yours...