सात इनकलाबी इतवार भाग - 3 | Sat Inkalabe Itawar Bhag - 3

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Sat Inkalabe Itawar Bhag - 3 by रेमन सेंडर - Reman Sendar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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थ सात इनक़लाबी इतवार आ ३०१ एक्सट्रीमाड्रा में एक चुलबुला शलभ है जो कभी अपना रंग-बिरंगा शरीर चमकाकर उड़ता है, कभी श्रपनी कोहनियाँ ऊपर उठाकर पृथ्वी पर शान्त-सा लेट जाता ओर कुचल जाने को प्रदीक्षा करता है | पुतंगाल के समीप एक असाधारण कीट है। कितनी ही देर के. बाद सामर यह निश्चय कर पाता है कि वह जुगनू है । यह छोटा सा जानवर,” वह एमिलिया से कहता हैं, अंधकार में: हरा प्रकाश देता है ।” तत्‌पश्चात्‌ वह उसका ठीक स्थान बताते हुए पूछता है--- 6ुम्हें मालूम हे कि यह कोन-सा स्थान है। “यह कैस्टीब्लेंको है । “बिलकुल ठीक !! कैस्टीब्लेंको में एक प्रकाश है | उसके दाहिनी ओर स्पेन है. जिस पर अंधकार छाया हुआ है या जहाँ पानी से भरी हुईं नीची भूमि पर चमकते हुए चंद्रमा का क्ञीण प्रकाश है | मॉनक्लोआ अ्ररण्य के अंत . पर, स्पेन के प्राकृतिक नकशे के चारों ओर जो रेलिंग लगी हुई है उस- पर कोहनियाँ टेके हुए सामर ओर एमिलिया खड़े हैं। द बैलियरिक टापुओं को इंगित करती हुई एमिलिया कहती है-- “देखो, वह भूमध्य सागर है ।! हाँ,” सामर ने उत्तर दिया, यही खीश्टीय सभ्यता का सागर है, ईसा और अ्फ़लातून की सभ्यता का समुद्र । यह वास्तव में दुर्बुद्धि का... सागर है !? ः यह समुद्र प्रायः शुष्क था | सामर ने एमिलिया को रोज़ालीज़ की... ओर टहलने को भेज दिया | फिर उसने फ़्रारमेन्टरा ओर वैलनशिया के मध्य में लघ॒ुशंका की । भूमध्य सागर अ्रत्र काफ़ी गहरा प्रतीत होने लगा । `




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