उर्दू काव्य की एक नई धारा | Urduu Kaavya Ki Naee Dhara

Book Image : उर्दू काव्य की एक नई धारा  - Urduu Kaavya Ki Naee Dhara

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कतील शफ़ाई ( ४ 9) ক্সনলান त बहती वर्यां शाम सुबह # ४६ २६ जनवरी , १६३० को याद में दानी स माजन चला गया भरा ट्पट्रा पायल मेगा दो इक चोद गया इक चार आया सावन की घटाएं ग्रादल वरस पायल লাল না নারী कर्ती समार दाता की देन मरे पी तो था गए ९० .पंडित इन्द्रजीत शमां व ती रूढ गये नैया है ममधार भिल्लाप्रेम की तोता मूल आई रो जागी का गीत सावन बीता जाए




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