सन्तति - नियमन | Sannati-niyaman
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
70
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सही मार्ग ५३
এ ০২৬. ১ 2০ ০৪ ~ = क
सन्द अपन चिमे चेतावनी समझें। कोछी लज्जा या লুহ सकता नात
नं जिनको चचमि नटी रक रहा है; बल्कि ज्ञान হুদ संयम
মূল ।जमः चाय नहा र्षक रहा हूं; बालक यह ज्ञान मुझसे संयम
= সি ४
व कि क्षित देशके जीवन-शक्तिस हीन और निर्यन्ट यवर
करा रहा है कि ल्िस देशके जीवन-शक्तिस हीन कौर निवल युवन
विपय-नोगके पञमे पेण कौ गजी सदोप युक्तियोंके शिकार बड़ी आासानीसे
৪
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सही मार्ग
च्रजोत्नत्तिको रोका कैसे जाय? यूरोपकी तरह अनीतिमय और
कृत्रिम अपायों द्वारा नहीं, परन्तु आत्म-संयम द्वारा, यम-नियमके जीवन
द्वारा । माता-पिताकों अपने बालकोंकों ब्रह्मचर्य-पालनके पाठ सिखाने
यहां * पाठकीके ~> उ देता ४, ~> भवयं ¬> ‰
यहां में पाठकीके लिम्रे कुछ नियम देता हूं। थे नियम मेरे अकेवले
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হা भनुनवर्क आधाद पर नहा, परन्तु मर अनक साश्रय्राक अनुभवक
৮ पर बनाये সপ লস वि
वाधार पर बन হও
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लड़कों = ~ लाकियोंका ॐ सौर कुदरसी ~> पद्धतिस पल
2. लड़कों और लऊड़कियोंका सादी बौर कुदरतो पद्धतिसे थिन
न लाघार पर पालन ~ किया জা ~ ~ जीवनमर অলি
मसान्यताके आधार पर पालनमोप्ण किया जाय कि वे जीवनमर् पचिप्र
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আদ নিল रहनवाड হু।
२. सबको मसालोंका, मिचेका और गरम पाछोंका त्याग करना
चाहिये এ चघरदवीवालों পপ <~ पचनं ০০ ০০১১ मिष्टात्रं ~ লিহাঃ < ~
चाद्य । चरयाव आर परचनम नारा खुराक, निष्टान्न, मद्याआ आर
तटे द्ये पदाचे खाना छोड देना चाहिये
त हयं पदानत्र उना दछड इना चाहूय]
६. पृतिपल्ीकों अलग कमरोंमें सोना चाहिये और अनन्तक
३. पात-यउलाका अद्ग कमन्ाम दान ष्ट्यं জাহ अदास्तेका
ভাকলা ল্াারিন 1
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