हिवड़े रा गीत मनडे रा मीत | Hivadai Ra Geet Aur Manadai Ra Meet

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Hivadai Ra Geet Aur Manadai Ra Meet by शिव पाण्डेय - Shiv Pandey

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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घादया री मा हल्दी घाटी, चुसकारों तक ही करबो नही! छाती मे छेद निमरग्या पण, आख्या मे पाणी मरचो नही 11 वीया > तते लो सू पढलो लिखियोडी काणी हू, मैं डीगछ माड देस सोरठ मरधर री मीठी वाणी ह} गढ़ चितौडो मूं नी बोल, बूढी भ्राख्या सू जोवे है। सतिया चित्तावा रौ लपटा, সামু ভু গত बुभावे ই।। भ्राय बरधा रो बई वार रण राख उतारधो पाणी हू, में डीगछ माट देस सोरठ मरुघर री मीठी वाणी हु । रोजोनै सूरन सिखरा चद, चम्बल उपराकर वैव है, সাম रे प्रास्या देस्योडी, मूढे सा काणी कंब है॥ माभारत दायी वीरा री रण होता देखी हाणी हु, मैं डीगछ माड देस सोरठ मस्घर री मीठी वाणी हु । स भाषावा ने ईजत दी, चुप राखी ग्रउ नो रवू लो । भा बाप सोल सरवार सुर्ण, हुआ हाथ पक्ड कर लेबू लो 11 सोनै गो माय समकोप्रा झा सपने में नी जाणी हू, দমন माइ दस सोरठ मम्धर री मीठो बाण हू । {घ




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