भूदान यज्ञ (वर्ष - 17, अंक - 1) | Bhoodan Yagya (Varsh-17, Ank-1)
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
23 MB
कुल पष्ठ :
687
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)2 कान्कारी भूमिका
৪
৪ ঘি भट-दस वर्षों से यद भादा यौ भाकाश्रा रीषि भाप
कि अब तुम्हारी রহ नहीं । मैं भीर शाहियों? के विरोध में तो
रहा ही ह्* जग शाही! के पिरोध मे भी शा हैं। भूत का
अभाव पड़ेगा, तो वर्तमान भी भूत वन जायेगा इसीलिए জাজ युवक
चाहता है कि हमारे दिमाग मे कोई चीज भदी न जाय ।
विय
€दान्तिफे एच बात साफ लेनी ঘাতিহ কি हिसा
. अतिकार की जो भूमिका रही है, वह क्या कभी समाप्त होगी 7“- हिंसा
से संदर्भ तो वद्छ , लेकिन टल्व-परिवर्तन नहीं হীনা।
6 'समाज-रिवर्तन फी ता का
सकता है / जो चद मानवा ष, ঘহ অহ ই ।জী मान्दा है कि इसका अंत
तक षह
नहीं होगा, क्योंकि अद तक यह हु 1 षह तरण नह षट
परिविम में जीविका की सोज संपन्न हो गयी, जीवन की सोज
जारी है |. लेकिन जीविका शरनभी्ोताह (| हिसा-अहिसा का
इस अंक में বন দয হী জালা ই নত অজ ই
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शांतिसेना को स सङ्गे समरज ধা संरक्षक नहीं
সহ ह ^ से आवरित हिसा সী भद्र हिसा नहीं
हक है त शातिसेना के पूजीपतियों ঘা किसी बनना है।
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হর যয ২ ६ [ক নাং মহত আম नटीं रसना कि वह करापिशारः
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पफ को रक के ७ हिंसा ज्यादा कभी कर नही । भगर साज फी अधिक
द म् शति अनेसंस्वा पररिवतन हे लिए है: रहो जाय, तो द्सानि दौ जाती ह)
सभं का समूह:
अधूरी
है, उसी तरह হানি সী না আহি. शान्ति
सम्गदक सेना को क्रान्ति चेतना और प्रेरणा फैदा करने का यह काम करना है।
गम उक्त संदर्भ म বহু विशियत है कि मकर वाद तरीके से ममि
परं हेषा शध » बाँदों नहीं जा सक्नी। भूमि का বোন धिना
एजद धाराम अकरिया के नहीं सकना।
भेन 1 ६५१९१ िवाधाप, ४ সু ७० के सायन मेण “जादा घर्मीघकासी
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