भूदान यज्ञ (वर्ष - 6, अंक - 1) | Bhoodan Yagya (Varsh-6, Ank-1)

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Bhoodan Yagya (Varsh-6, Ank-1) by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मौखिक धसत्य 0 নর , गिन देशों के हाथों में आन्नेय अध्य वा यके हैं, आज उनको भ्रहिष्ठा है] क কা जाता है कि पे शक्याडी राष्र हैं । यदि प्रतिष्टा दा आधार सर्नाश की अजय शक्ति ही है, तो अशुदम और उद्जनवम सार को स्वोच्च प्रतिष्ठा के प्रतौक होने মীর উন घादिए। तथ पिर इसका पिरोध ययों शे रहा है! दो सबता है हि জিন বান ই विचित्र मनत्थिति में पढ़ा हैं । छुछ प्रकट थे कहूँ ही জানইব মানী জীন पाठ य शतिः धक नदौ पायी ई, वे रार दव रक्त को निन्दा करके ष्टोम के हैं। मक्ट क्रे, तो टे कि তিমি জনন জো জা মী মহা বা লি ममर मदे है? बाछी होकर ५ के हु 1 ढिए अंगूर सह्ठे हैं! वा्ी छोकोक्ति को चरितार्ष बरते हैं। अमन्‍्ततोगला इन ध्षमाव- भी ननू विचार पट बरदा | ग्रस्त राष्ट्रों निन्दा दिखा षौ यद बाढ़ घटने के बजाय बढती ही जायेगी ॥ रुब्‌ १९२० के पहछे इध देश में सावंजनिक सेवा को भागना पिन आस्नेय अर्स ফী নিনহা কী উ হল इनके प्रयोग को नहीं रोफ़ सकते यमे र्गो में दीपती थी | कह्दीं शुद्ध सामाजिक सेवा के रुप में, या कह सादिलिक है देखना होगा कि ये पछ जिस दिसा वृद्ध पर फदित हो रहे हैं, वह क्रिस बीज में से का ओढ़ना ओढ़ बर, तो वहीं মানিক মানা धारण करके बह ग्रकद होती थी | ु पैदा हुआ है। संसार में से दिखा मिटेगी, हमी संधारक হা मिरेंगे। हे सकता दे दुदङ देश सेवा की भावना मे মহল हुए देइ, घम और प्राणों की आावक्ति नर ९ कि हिंसा को कायम रस श्र हन रस्ये प ङु मके च्‌ पाइन्दी ढयायी जा ह्गन्तिकारी बन कर अपने ठिर वा सौदा करते हुए धूम रहे ये । गांदी एक पका सके. लेकिन बह स्थायी व्यवस्या नहीं होगी, उससे दिखा की शक्ति भौतर दी भीतर छेकर आया | पढतः आत्मणुद्धि, त्याग, सेवा आदि बी परत भाषना हे छोग है? परनपत्ी रहेगी । ~ मोच द्ये गवे ॥ “ 4 पं इस स्थिति को रोकने का एक्मेय मार्ग यद है कि टिक राज्य व्यवस्था, सत्काडीन वायरुराय के पास बापू ने सन्‌ १९३० में जो ऐतिह्वातविद्र एप परेड समाज और कर्थव्यवस्था की अ्रतिष्ठा करके हम उसके छाथ अरुह्योग करं ओर था, उसमें शासनकर्ताओं के शादी खर्च, शान शौक्त तथा भारत ष) सती छषने-अपने देश मँ देखी भ्यवस्या दो जन्म दे, जिसकी जड़ें रुत्य की धरती टी वेबठी का एक मु्दर चिते खींचा गया था। खांधीजी ने डछ पत्र में জর দয हुई । रिख की ध्यवस्था का रुम्मान करना और हिंसा के प्रत्यक्ष दर्शन যা को डेटा थार मरकर क्या था कि उस समय का शांत सच, शातकों रा লাবজা पर धछाप बरना, यह तो भयप्रस्त मानव का अन्दन है, सशक्त मनु कौ वेतन आदि भारत की आर्धिव दुरवस्या षो अधिया दाने वाटा प्रवं घनैविषटदै। चुनौती नहीं | इमें पशु-शक्ति का सामना भानवीय शक्तित से करना है, हिंसा को इसी आधार पर ठल्काढीन विदेशी शासन চা ৬ রা 5] র্‌ नीती 4 চটী करायी कँप्रेट फे ऋष्िदिशात নী মী चुनौती देनी है। सम्योधित परिया धा। न्‌ १९३४ को রা | दित व्यवस्था का बीज केन्‍्द्रीकरण दे । केन्द्रीवरण रुष्टि का एक मारी अपिड़ारों का सेठ बरते हुए जुछ ऐसी ऐतिहासिक बातें रखी थीं, पिव असत्य है । ई भौदिक उस पर प्रहार करना होगा। इसके बिना दस दिंता को. यह पतीत ऐसा था कि बाजादी के बाद भारठ का 5 নম নী হম] चुनौती नहीं दे सेंगे। प्रति में ईप्चर ने ক্লক ঘট বীনা रलो दै । धरती दताटीन হায় তমাবাগেন ই उछ দয ই ध हर ক 0 प्र सन खगद मानव विनदत दे, पानी, काकार कौर एवा रिखरी पश दै, परती कर भोवा । “बोई एरिजन छड़पी राष्ट्रपति है” ध হি 7 টা রা री पड़ी दी, समुद्र, ये सभी त्र, स॒ पनि दृछ भी समण हो, मैंने यषह्टी समा ঘা कि गांधी के नेःल में ইন ছা बिखरी पड़ी है, पशु-पथी, রি ঘছার, নবী, 4 सभी শি श न द দিস पटक बिखरे पड़े हैं | भूख विकेन्द्रित दे और मोजम उत्पादन के सादे भी विकेद्धित हैं । काप्रे জি বাক ट রি इस पिफेम्द्रीवरण को योजना को इम पद्चानेंगे, तभी इम मुसरी हो सकेंगे । জী করবা छाया, उषे क्म सध से प्रशासन জারা আমা 2, ॥ জান ছি নট बड़े राण्य बनाये ६, उन र्यो मे जनहन्् ভায়া, मी रष्दो मे, देण के करोड़ों मूक मानयों क) बात पहडे रेची जारण) | म # # , হান জা एत्ता आखिर एक वादमो के हाथ में रप दी | बड़ी बढ़ी मिलें चढापीं, डगभग धाडीक वर का एक असामा भीर यदा मकम पणौ টি भोमकाय मशीनें छयायी और मतुष्प को बेगार रहने के ढिए या हि के ভাখল को नदियों में दद गश। गायों नाम से झमितित शरोडों सूर তি का हा ए सोजने कै €िए एुक्य छोड़ दिया 1. खेगी के क्षेत्र में केख्धित व्यवस्य, षरे पासं দাখী তর মথা ! एम काजाद मी हो गये। आज भी देश ०0 के । লা का प्रयोग क्या और मतुप्प के बजयय पर की ग्रतिय्रा पैदा की । जब तक विभिन्न रियारों को टेढर देश की गेका दा सास डे रही ¢ ৮] दम यद सम नही छोड़ेंगे, तब तक दिखा नहीं मिटेगी । नईीं बरना रे। पर मेरे मन में राय यद आयी हि ही के धि परमन न है एकमेव मारं कथा भतिन मै उनश्चा नाम उन्धारण करने वटे व्वतियो বা हो धकाएँ € न्द्वित ४ पक्मेब मार्ग ५ भीन के নাদ। রি + व एक इी रास्ता है। बह रास्ता विशुव मानवीय र देशमेश्न गयी । अगद मवान्‌ বাধার ब्रा ক্যাড, ব্য ৫ हने क्षसे यचने षा षट ५ , विचारं হব वटैतका पाठ হ্যনান ধাউ এর নিন্ন টিন ঘতিধী ই বাতিক ধরব ईयरीय है ) वह मार्ग दे विरेश्द्रीकरण। इसे छर्मोंदय या सबके उदय का विचार নু রি হাউ খন লী ইন हो आधी बाहों में है इक शाह में मनुष्य कमी भी मनुष्य के सिडाफ खड़ा नहीं ऐता | यह करोड़ पर अषिका: বধ ব মীন बांधे बने मेरे ढर कहते हैं | इस विचार में मनु व विकार हाथ में टेवर इस्ट पे हटदा वैमव ने मोगने दासे बन सैये और হু विचार राष्ट्रीया फै संकीर्ण पेरे को तोड़ १र विएम-मानव को दृष्टि सो चिन्तन करता জানবার লিলির রাডার জার है।इड विचार में ेटरीकरण बी बोई गुस्जाइश नही है। इस ০ নো न देखा वि ओ कोग शाप में (नवी और बन्‍्पे पर हुई का पदात शपतः यद ई पद्‌ आरन शर विगान कै एमे নার দই লো ১ ये, ये যাই जहाज टथा बातादुवृट्रित माहियों से कम में ह* वि লী ঘুম ধি, ধ যাই জা है कि “मे मेरे की तंग दौवारों वो तोड़ कर किन हा, ८ ভা বি রর মে বালা टिकट ते दम मे वो शत गज है एक ढाएक ই সত समाज वकर हो जायेगा एवं. रचनात्यव কার গধন্থী ভি থা उद्पाइन हुआ । उद्दपाटन बर्ला बाद ह सम बु बॉट कर भोग (0 টি म्चे सभये म मे জার জীব মানসিক নত খ্রি ই [তত कान्‌ पराथ मानव जीवन में रे ऐोड़ एवं विरोध का का का টন ख्भ्ये सप না আয ই জাই | মাত ট জিব খা वाता के तबक मदिष्ठ चेम, समो षार म सुन देया अर रान्ति हो स मन हो मन धेचदा हूँ दि व॒म्प' दुदर पुत्रदारा भौ बेदार न है! টং दे द में ५९८४ হাই মান निका कदमो বং জাত ই ধা দাতা डिये हुए হে ধাশী দি আন্ত ভন हो ম্‌ভ হ 4 को খাতির মুত কোই মাধ ই বির হালি বা হী আট জাত তা मा কেস লি গলা জানব ও मनुष्य और उसके गाँव से জাহচল কনা ই'যা। জী সুতি बे 4 र অহ হী) তা মল ধা ঘর दशा ने दवा जाग द दत টিন मड़ा रपरूप ही ससार में होगा। गवि में द्वेष छोर विम्रए है तपा क थे माद জী উতর মাল নত হই অবাক ইহ যি পণ (५ क ন र उम का का नियम ( पर्तमान सुग में--/विशका बहुमत उसका करो कौर डिचारों का गचार बरतने हुए थारों थी आहुति उर्मदे आने में देर | लाल णे सतार मे अशु छीर उद्श्न बम का हंना स्वामातिद् दे। जिला मि यह गाज टै।7. तिर॒मी एक दिवार यइ छोटा है £ कुशा, টাল? एव्म, तेव, शान्ति, सकार कौर मुख हे; तो सवार में मी वही इदि, इमान का (तिव च श्वस्य सस्ता ववा | इधर ने भी होल 8 ৪ ११९८ के गाँव से आरम्म करना है। इमारी अद्ात्ति की नृ चढ़ हे ष ল্য ওর কী অনা কি বা ने वि को सिर হাই है दिए ईँ है ध বি 1 व्यक्तिगत माठकियत रोगी, तंद दक एम एक होकर गा জা জামার ভুল दा व {नवय वदो महर? ॥ श गाँव की सारी घरतो অহ মা তু तमे । अल इव रा ऋय वथ झरना चाहिए । ছা व - অবসর, इरात्र हक है| यह पहढा कदम है--इसे ग्रादान $इवे हैं । इसे জা লি ० दा परिवार ग्रानी प्रामपरिवार बने] प्रौछे प्राम सइल्य ग्रवट हो | গান हर টিছা ইলা হাজার যা লাহে খহশাহ নী [তরী জিব তি খা दति टो बाउशपकठा के उना उन्यादन, व्यसन ২ মিস ल्यागना द दिर वि र राम्या वा दाद বা হক, ঘা कनं जस्या ठत ब्वतन. और घर्मे को शिवा का ই রে ५ कल्प का अर्थ यह है हि আত ক জীন আবহ द्म হিল ক খায় द पिवाम নাকি श र গে इ रसम, वराटक स्मेरो पका माडम्नानेष्ठा स्यारना # न्ति সি উ যান ই ভিত নু বীনা बनायें, उसे शियाल्वित पैकल्र कर 4७७७५ च श ग्नः दककार, নাও




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