भूदान यज्ञ (वर्ष - 6, अंक - 1) | Bhoodan Yagya (Varsh-6, Ank-1)
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
26 MB
कुल पष्ठ :
482
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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কা जाता है कि पे शक्याडी राष्र हैं । यदि प्रतिष्टा दा आधार सर्नाश की अजय
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पाठ य शतिः धक नदौ पायी ई, वे रार दव रक्त को निन्दा करके ष्टोम के हैं। मक्ट क्रे, तो टे कि তিমি জনন জো জা মী মহা বা লি
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ढिए अंगूर सह्ठे हैं! वा्ी छोकोक्ति को चरितार्ष बरते हैं। अमन््ततोगला इन ध्षमाव- भी ननू विचार पट बरदा |
ग्रस्त राष्ट्रों निन्दा दिखा षौ यद बाढ़ घटने के बजाय बढती ही जायेगी ॥ रुब् १९२० के पहछे इध देश में सावंजनिक सेवा को भागना पिन
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देखना होगा कि ये पछ जिस दिसा वृद्ध पर फदित हो रहे हैं, वह क्रिस बीज में से का ओढ़ना ओढ़ बर, तो वहीं মানিক মানা धारण करके बह ग्रकद होती थी | ु
पैदा हुआ है। संसार में से दिखा मिटेगी, हमी संधारक হা मिरेंगे। हे सकता दे दुदङ देश सेवा की भावना मे মহল हुए देइ, घम और प्राणों की आावक्ति नर ९
कि हिंसा को कायम रस श्र हन रस्ये प ङु मके च् पाइन्दी ढयायी जा ह्गन्तिकारी बन कर अपने ठिर वा सौदा करते हुए धूम रहे ये । गांदी एक पका
सके. लेकिन बह स्थायी व्यवस्या नहीं होगी, उससे दिखा की शक्ति भौतर दी भीतर छेकर आया | पढतः आत्मणुद्धि, त्याग, सेवा आदि बी परत भाषना हे छोग है?
परनपत्ी रहेगी । ~ मोच द्ये गवे ॥ “ 4 पं
इस स्थिति को रोकने का एक्मेय मार्ग यद है कि टिक राज्य व्यवस्था, सत्काडीन वायरुराय के पास बापू ने सन् १९३० में जो ऐतिह्वातविद्र एप परेड
समाज और कर्थव्यवस्था की अ्रतिष्ठा करके हम उसके छाथ अरुह्योग करं ओर था, उसमें शासनकर्ताओं के शादी खर्च, शान शौक्त तथा भारत ष) सती
छषने-अपने देश मँ देखी भ्यवस्या दो जन्म दे, जिसकी जड़ें रुत्य की धरती टी वेबठी का एक मु्दर चिते खींचा गया था। खांधीजी ने डछ पत्र में জর দয
हुई । रिख की ध्यवस्था का रुम्मान करना और हिंसा के प्रत्यक्ष दर्शन যা को डेटा थार मरकर क्या था कि उस समय का शांत सच, शातकों रा
লাবজা पर धछाप बरना, यह तो भयप्रस्त मानव का अन्दन है, सशक्त मनु कौ वेतन आदि भारत की आर्धिव दुरवस्या षो अधिया दाने वाटा प्रवं घनैविषटदै।
चुनौती नहीं | इमें पशु-शक्ति का सामना भानवीय शक्तित से करना है, हिंसा को इसी आधार पर ठल्काढीन विदेशी शासन চা ৬ রা 5] র্
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चुनौती देनी है। सम्योधित परिया धा। न् १९३४ को রা |
दित व्यवस्था का बीज केन््द्रीकरण दे । केन्द्रीवरण रुष्टि का एक मारी अपिड़ारों का सेठ बरते हुए जुछ ऐसी ऐतिहासिक बातें रखी थीं, पिव
असत्य है । ई भौदिक उस पर प्रहार करना होगा। इसके बिना दस दिंता को. यह पतीत ऐसा था कि बाजादी के बाद भारठ का 5 নম নী হম]
चुनौती नहीं दे सेंगे। प्रति में ईप्चर ने ক্লক ঘট বীনা रलो दै । धरती दताटीन হায় তমাবাগেন ই उछ দয ই ध हर ক 0
प्र सन खगद मानव विनदत दे, पानी, काकार कौर एवा रिखरी पश दै, परती कर भोवा । “बोई एरिजन छड़पी राष्ट्रपति है” ध হি 7 টা রা
री पड़ी दी, समुद्र, ये सभी त्र, स॒ पनि दृछ भी समण हो, मैंने यषह्टी समा ঘা कि गांधी के नेःल में ইন ছা
बिखरी पड़ी है, पशु-पथी, রি ঘছার, নবী, 4 सभी শি श न द দিস पटक
बिखरे पड़े हैं | भूख विकेन्द्रित दे और मोजम उत्पादन के सादे भी विकेद्धित हैं । काप्रे জি বাক ट রি
इस पिफेम्द्रीवरण को योजना को इम पद्चानेंगे, तभी इम मुसरी हो सकेंगे । জী করবা छाया, उषे क्म सध से प्रशासन জারা আমা 2,
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मदिष्ठ चेम, समो षार म सुन देया अर रान्ति हो स मन हो मन धेचदा हूँ दि व॒म्प' दुदर पुत्रदारा भौ बेदार न है!
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হাই মান निका कदमो বং জাত ই ধা দাতা डिये हुए হে ধাশী দি আন্ত ভন हो
ম্ভ হ 4 को খাতির মুত কোই মাধ ই বির হালি বা হী আট জাত তা मा কেস লি গলা
জানব ও मनुष्य और उसके गाँव से জাহচল কনা ই'যা। জী সুতি बे 4 र অহ হী) তা মল ধা ঘর दशा ने दवा जाग द दत
টিন मड़ा रपरूप ही ससार में होगा। गवि में द्वेष छोर विम्रए है तपा क थे माद জী উতর মাল নত হই অবাক ইহ যি পণ (५
क ন र उम का का नियम ( पर्तमान सुग में--/विशका बहुमत उसका करो कौर डिचारों का गचार बरतने हुए थारों थी आहुति उर्मदे आने में देर |
लाल णे सतार मे अशु छीर उद्श्न बम का हंना स्वामातिद् दे। जिला मि यह गाज टै।7. तिर॒मी एक दिवार यइ छोटा है £ कुशा,
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११९८ के गाँव से आरम्म करना है। इमारी अद्ात्ति की नृ चढ़ हे ष ল্য ওর কী অনা কি বা ने वि को सिर হাই है दिए ईँ है
ध বি 1 व्यक्तिगत माठकियत रोगी, तंद दक एम एक होकर गा জা জামার ভুল दा व {नवय वदो महर? ॥
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तमे । अल इव रा ऋय वथ झरना चाहिए । ছা व -
অবসর, इरात्र हक है| यह पहढा कदम है--इसे ग्रादान $इवे हैं । इसे জা লি ०
दा परिवार ग्रानी प्रामपरिवार बने] प्रौछे प्राम सइल्य ग्रवट हो | গান हर টিছা ইলা হাজার যা লাহে খহশাহ নী [তরী জিব তি খা
दति टो बाउशपकठा के उना उन्यादन, व्यसन ২ মিস ल्यागना द दिर वि र राम्या वा
दाद বা হক, ঘা कनं जस्या ठत ब्वतन. और घर्मे को शिवा का ই রে ५
कल्प का अर्थ यह है हि আত ক জীন আবহ द्म হিল ক খায় द पिवाम নাকি
श र গে इ रसम, वराटक स्मेरो पका माडम्नानेष्ठा स्यारना #
न्ति সি উ যান ই ভিত নু বীনা बनायें, उसे शियाल्वित
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श
ग्नः दककार, নাও
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