बाल श्रम सामाजिक एवं आर्थिक दशा का विश्लेषणात्मक अध्ययन | Bal Shram Samajik Evm Arthik Dasha Ka Vishleshnatmak Adayayan

Book Image : बाल श्रम सामाजिक एवं आर्थिक दशा का विश्लेषणात्मक अध्ययन  - Bal Shram Samajik Evm Arthik Dasha Ka Vishleshnatmak Adayayan

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about कल्पना निरंजन - Kalpana Niranjan

Add Infomation AboutKalpana Niranjan

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
धद) মস श्रम ही इस वसुन्धरा का सुहाग है। और धरती के बेटे मनुष्य ही इसकी शोभा हैं तथा . सकी सफलता का रहस्य है क्‍योंकि “ प्रकृति नहीं डरकर झुकती है कभी भाग्य के बल से, सदा हारती वह मनुष्य के उद्यम से,श्रम बल से।” ७ श्रम ही सृष्टि का मूल है। प्रत्येक देश के आर्थिक विकास में श्रम की एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है। प्राकृतिक सम्पत्ति की प्रचुरता से सम्पन्न देश भी पर्याप्त एवं कुशल श्रम के अभाव में मनोवांछित प्रगति नहीं कर सकता है। कार्ल मार्क्स ने श्रम को सर्वाधिक महत्व दिया है एवं पंजी को मानवीय शोषण के लिए जिम्मेदार ठहराया है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के अनुसार भी श्रम की शक्ति ही श्रमिकों में आत्म सम्मान व गौरव की भावना प्रेषित करती है। गांधी जी का विचार धा कि अथक श्रम के माध्यम से ही प्रजातत्रिक समाजवाद के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता हे 1” द समस्त अर्थशास्त्री एक स्वर मे इस बात का समर्थन करते हे कि श्रम ही समस्त सम्पत्ति का श्रोत है ओर प्रकृति के बाद यही उत्पादन के लिए सामग्री प्रदान करता है तथा उसे सम्पत्ति में बदलता है! किसी देश की आर्थिक समृद्धि वहां के निवासियों के अथक श्रम मे निहित होती है। राष्ट की अर्थव्यवस्था चाहे कृषि प्रधान हो या उद्योग प्रधान श्रम के महत्व को कोड भी अस्वीकार नहीं कर _ सकता ज कवि रामार हह বিভক্ত




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now