भाषाजात अल्पसंख्यकों के आयुक्त की रिपोर्ट [सातवीं रिपोर्ट] | Bhashajat Alpasankhyakon Ke Aayukt Ki Report [Satvi Report]

Bhashajat Alpasankhyakon Ke Aayukt Ki Report [Satvi Report] by विभिन्न लेखक - Various Authors

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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10 जो सुविधाएं प्रत्वेक राज्य में वतेमान थीं उन्हें निश्चित रूप से जान लिया जाय जितने प्रमिति को स्थित का सही-पही पता लग सके। श्रायुक्त को यह जानकर खेद हुश्ना है कि क्षेवीव पर: की सप्रति का उपर्युक्त निय, राज्यो द्वारा कार्यान्वित नहीं किया गया । इन श्रांकड़ों के श्रमाव में, विभिन्न राज्यों में भाबाजात, अल्पसंख्यक वर्ग को उयलज्ध शज्षिक सुविवाओं का तुलतात्मक अ्रध्ययध्‌ करना संभव नहीं हुआ. 1 'आ्रांदिम जातियों की भाषाओ्रों द्वारा प्राथमिक शिक्षा ह 35. जैसा कि विभिन्न अल्पसंब्यकों की भाषाग्रों में उपलब्ध शैक्षिक सुविधाओं के आंकर्ड़ा से स्पष्ट होगा, संविधान के अनु >डेद 350 क में श्रादिम जाति भावागम्रों के सम्बन्ध भें किए ' गए प्रावधानों के प्रसार में श्रासाम ,/ बंगाल और विहार के सिवाय प्रगति পতি अ्रल्प हुई है । 36: जैसा कि छठवीं रिपोर्ट- के पश्च्छिद - 29 में उल्लेख किया जा चुका है राज्य सरकारे श्रादिम जातियों की भाषाओं के-माध्यम से शिक्षा की व्यवस्था करने के-विषश्र- में इस आधार पर अपनी श्रसमर्थता अ्रकट करती हैँ कि श्रधिकतर- भ्रादिम जातियों की भाषाश्रों'की कोई लिपि नहीं है, पाठ्य-पुस्तकों/साहित्य: की तो और भी कमी है। सूचना मिली-थी कि ऐसी हालत में श्रादिमजाति भाषाजात अल्पसंख्यक वर्ग के विद्यार्थी उन राज्यों की प्रादेशिक भाषाओ्रों के माध्यम से शिक्षा पा २हे ये, जहां-वे रहते थे । 37. श्रायुक्त पहले ही श्रपनी पिछली.रिपो्ों में यह सुझाव दे चुंके हैं कि जब तक आदिम जाएि की भाषाओं में पाठ्य-पुस्तकें उपलब्ध नहीं हैं संविधान के श्रनच्छेद 350 क का प्रावधान ऐसे शिक्षकों की नियुक्ति द्वारा कार्यान्वित किया जा सकता है जो प्रादेशिक भाषाओं में प्राप्त पाद्य-पुस्तकों का ' उपयोग करते हुए छात्रों को श्रादिम जाति की बोलि्थो के माध्यम से पाठ समझा सकं ।' यहां इसका भी उल्लेखे किया जा सकता है कि -श्रादिम जाति वर्ग के लोग बहुत बड़ी संख्या में कई शाज्यों में निवास करते श्रपतो मातभाषां के माध्यम द्वारा शिक्षा की सुविधाओं से उन्दे, लगात्तार वंचित खना न्यायक्तंगत नहीं प्रतीत होत है । 38. योजना आयोग ने जनवरी, 1964 मे अनुसूचित जातिथों तथा अनुसू चित श्रादिम जातियों के लिए रोजगार सम्बन्धी एक सेमिनार का आयोजन किया था। बाद में, शिक्षा দলা लय ने प्राथमिक शिक्षा सम्बन्धी सिफारिशों पर विचार करने के लिए एक ` वंक वला थी जो इस प्रकार थी :- हु आदिम जातियों की भाषाओं में प्रशिक्षण देने- के लिए देश में कतियय विशिष्ट-- भाषा शिक्षा केन्द्र होने चाहियें।. इस के अतिरिक्त आदिम जाति भाषाओं की पढ़ाई के लिए स्थानीय सुविधाओं की व्यवस्था कीजा सकती है 1 . खत बैठक में सामान्य विचार यह था कि प्रायमिक-स्कलों के श्रध्यापकीं निमित्त श्रध्यापकों की भर्ती श्रादिम जातिकेलोगोमेम की चार राज्य सरकारों परही छोड़ देना चाहिए, क्योंकि दे. का নন জলা सही मूल्यांकन करने की स्थिति में हैं ं को प्रशिक्षण देने के जय ।. इसलिए उन के प्रशिक्षण का दी समस्याश्रों म्रीर ভন के समाधानों দু




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