सरस्वती संवाद जयशंकर प्रसाद अंक | Saraswati Samwad Jayashankar Prasad Ank

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Saraswati Samwad Jayashankar Prasad Ank by शम्भूनाथ पाण्डेय - Shambhunath Pandey

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ध्रसाद! का व्यक्तित्व और कृतित्व ६ ~~~ ---- ~ --~ संयमित मावनाघारा ई} दो चार गदी मे श्यतीत की मनोरम स्परतियो मौ श्रई ई, पर उने शख की सी श्रमाव या शत्यता की व्यंजना नहीं हैं। अब तो वे मनो- বল বয় অমর লন লা सौन्दर्य लाने की चेष्टा मे सलग्न द । श्रो सागर संगम अरुण नील! जैसे कुछ गीत प्रसाद जी की पुरी यात्रा के स्मारक हैं और प्राकृतिक নীন্ছব की अनोखी भाँकी से समन्वित हैं | प्रेम और करुणा की तात्विक मावना हा चित्रण लहर में महात्मा बुद्ध के जीवन-प्रसंग और उनकी दाशेनिकना की वाश्वं भूमि पर किया गया है । शेरसिंह का 'शस्त्र समपेणों और श्रलय को छायाः के रूप में दो माठकीय आख्यानऊ गौतियाँ मो 'लद्दर” में हैं | उनमें क्रमशः परा- जित चीरत्व' और सौ दयं गर्वं का विवरणपूर्ण मनोवैज्ञानिक चित्रण है। प्रसाद जी को रेखाएं इन चित्रणों में पर्याप्त पुष् है, जो उनकी कलात्मक स्रद्धि का प्रमाण कही जा सकती है । इसी 'लद्दर' में 'बीती विभावरी जागरी शौक वद्‌ जागरण गत दे, जो कदाचित्‌ प्रमाद जो के सम्पू क्रय प्रयास के साय उनी युग- चेनना फा परिचायक प्रतिनिधि गीत कहा जा सकता है । “कामायनो' प्रसाद जी के कृतित्य का सर्वोत्कृष्ट स्वरूप है। जिसमें सर्वाज्ञ- प्छ जीवन दर्शन नारी पुरुष का सम्पूर्ण चित्रण और नई जीवन परिस्थितियों का व्यापक निरुपण है| नए जान का विस्तृत उपयोग उसमें क्रिया गया है । 'कामा- यनी में कवि प्रखाद ने आदि मानव का आख्यास लिया है और उसे प्राचीनं कथा तन्तु का सहारा लेकर नए. उपकरणों ते मद्धिन किया है 1 कयानक मे मनोविज्ञान के लाय मानेव सम्यनरा कै विकासं का वैज्ञानिक चित्र भी दिखाया गया है। इस प्रकार कल्य क कथक तो लए विह्ञान को उपयोग करता है, उसे गति और विस्तार देता है, और इस विज्ञान समत विक्रास को सार्थेक्रता और आलोक देने के लिए कवि ने मारतीय दर्शन का सुन्दर उपयोग किया है| प्रामायनी' के कथानक या वल्लु संघटन में जिस प्रसार पश्चिम की नई वैशामनिक सम्पत्ति के साथ मारतीय दर्शनों की प्राचीन निधि का उपयोग किया गया है, उसी के अनुरूप 'कामायनी में दो नारी चरित्र भी ई--एक श्रद्धा 'मारतीय भावना और दर्शन की अतिनिधि; और दूसरी *इड्ा! नए वैज्ञानिक विकास फ प्रतीक | इन दोनों का सस्तुलन और समन्‍्व॒ब नवीन मारतीय सस्कृति को 'कामायनी' के कृषि की লহ देन है प्रसाद जी ने नादय कच मे नरक को सण चरित्र, नई घटनाएं, नय। ऐटि- ड्वासिक देशकाल नया आलाप संलाप, सक्षेप में सम्यू्ण नया समारभ दिया है } दन्दो नाटकं मे नया युग प्रवर्तत होने लगा 1 प्रसाद के नाटक ऐतिहासिक हैं,




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