योगेश्वर गुरु गंगेश्वर | Yogeshwar Guru Gangeshwar

Yogeshwar Guru Gangeshwar by रतनवहन फौजदार - Ratanvahan Faujdar

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about रतनवहन फौजदार - Ratanvahan Faujdar

Add Infomation AboutRatanvahan Faujdar

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
प्रकाशकीय “योग्वर गुरं गद्धैश्वर' जंसे पावन ग्रन्थ के प्रकाशन का सौभाग्य इस जन को प्राप्त हुआ, इसे वह भपने पूवं सुकृतो का परिपाक मानता है। नहीं तो लिखमेवाले ने बढ़ी भक्ति और निए्ा से छिखा, सम्पादक ने सम्पादित किया, मुद्रक ने मुद्रित कर दिया, मेरा अपना कुछ भी श्रम नहीं ऊुगा और यश का भागी मे वन गया, यह फंसी अद्भुते बात है ! किन्तु छास्त्र के पृष्ठ उठ़टने पर उसको अदुभुत्तता जाती रहती हैं। शास्त्र कहते हैं, जिस पर ईश-कपा, गुरु-कृपा ओर शास्त्र-कृपा होती है, संसार में उसके लिए असम्भव 'भी सम्मव वन जाता हैं) आाप भेरे बारें में ऐसा हो कुछ समझे । कारण में इतना जानता हूँ कि शत-शत प्रमांद करने पर भी ग्रुरुममाता के हृदय में इस बालक के प्रति अटूट स्नेह है, इसके चल पर आप पाको मे भी इते अपनाने का सप्रेम आग्रह्‌ करता हूं । गोविन्दराम




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now