भारतीय दर्शन | Bharatiya Darshan
श्रेणी : भारत / India
लेखक :
श्री धीरेन्द्र दत्त - shree Deerendra Datt,
श्री सतीश चन्द्र चट्टोपाध्याय - Shree Sateesh Chandra Chattopdhyay
श्री सतीश चन्द्र चट्टोपाध्याय - Shree Sateesh Chandra Chattopdhyay
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17.89 MB
कुल पष्ठ :
450
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
श्री धीरेन्द्र दत्त - shree Deerendra Datt
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श्री सतीश चन्द्र चट्टोपाध्याय - Shree Sateesh Chandra Chattopdhyay
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)थ वे बड़ी सुगमता। से पाश्चात्य दर्शन की जटिल समस्याओं का भी समाधान कर लेते हैं । भारतीय दुशन की उदार-दृष्टि दी उसकी प्राचीन समृद्धि तथा उन्नति का कारण है । यद्द उदार मनोभाव भारतीय दृशेन को भविष्य ७७८0 सएठ १९६. के सिख एक से दत्ता दे 5 वे 4०५ श देता है। भारतीय दशन यदि भारतीय दर्शन का अपने प्राचीन गौरव को पुन प्राप्त करना चाहता भावी भ्रादुरां... है तथा उसे सुद्ढ़ बनाना चाहता है तो उसे शराच्य तथा पाश्चात्य आाय॑ तथा अनायं यहूदी तथा अरबी चीनी तथा जापानी-सभी दार्शनिक भत्तों का पूण॑ विवेचन करना चाहिये । अपनी ही विचार-परस्परा में सीसित रद्द जाना उसके लिये दिवर रेदी दो लक 8 रिकट्डर््स १ जय कर द है मारतीय दर्शन की शाखाएँ प्राचीन वर्गीकरण के अनुसार भारतीय दुशंन दो भागों में बॉटि हम झस्तिक तथा नास्तिक । मीमांसा वेदान्त सांख्य योग ।८टिन्०28 ५ ०हीरिवेस्८ न्याय तथा वैदोषिक आस्तिक दर्शन कहे जाते हैं । पर तथा. इन्हें पड्दशन भी कहा जाता है। आास्तिक दुर्शन नाहितिक दशन... का थे ईश्वरवादी दर्शन नहीं है। इन दर्शनों से सभी ईश्वर को नहीं मानते हैं। इन्हें झार्तिक इसलिये कद्दा जाता है कि ये सभी वेद को मानते हैं। क मीमांसा & ाधनिक भारतीय सादित्य में धास्तिक का झथे इंश्वरवादी है तथा नास्तिक का अ्थे झानीश्वरवादी है । किन्तु प्राचीन दाशनिक साहित्य के अनुसार आस्तिक का झर्थ वेदाजुयायी तथा नास्तिक का झथ वेदविरोधी है । प्राचीन दाशनिक साहित्य के अनुसार इन दोनों शब्दों में प्रत्येक का एक दूसरा भी भर्थ दे । इस दूसरे अथ के झनुसार शारितक परलोक में विश्वास रखनेवाले को तथा नारितक परलोक नहीं माननेवाले को कदते हैं । ऊपर के वर्गीकरण के अनुसार सीसांता वेदान्त सांख्य योग न्याय तथा वैशेषिक को ास्तिक दुशन इसकिये कहा गया दै कि वे वेदों को मानते हैं । भारतीय दशनों का वर्गी- करया यदि परलक में विश्वास के अनुसार किया जाय तो जेन तथा बोद्ध दुशन भी आस्तिक दुशन कहे जायेंगे क्योंकि वे भी परलोक को मानते
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