बेगम | Begam

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Begam by शौंकत थानवी - Shaukat Thanviहुनर शाहजहाँपूरी - Hunar Shahjahanpuri

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शौंकत थानवी - Shaukat Thanvi

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हुनर शाहजहाँपूरी - Hunar Shahjahanpuri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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थत पाई है । ताज्जुव तो यह होता है कि कमबख्त जितना बुरा नहीं है उतना बुरा श्रपने को साबित करता रहता है। श्रापको हैरत होगी कि ताश का कोई खेल नहीं जानता ग़ेर श्रौरतों से इस तरदद शर्मावा है जैसे श्रतें ़ैर मद्दों से शर्माती हैं । यों तो की तरह जवान चलती है मगर किसी श्रौरत से बात करेंगे तो मालूम होगा कि पैदा- यशी ह्कले हैं । जिस तरह कोई सूरज से श्राँखें वार नहीं कर सकता यही हाल उन इज़रत का है श्रीरतों के सिलसिले में । बेगम बौलीं-- फिर श्राखिर बह क्यों मरे जाते हैं । उनका दिल यह क्‍यों चाहता है कि तमाम दुनिया के सद बीवियों को सलाक़ देकर श्राज़ाद हो जायें । बेगस श्राखिर श्रपने रंग में थीं इसलिये हमने बेगम की इस भड़कनेवाली श्राग को दबाने की कोशिश करते हुए कहा-- अरे नददीं-नदीं । तलाक वलाक़ कुछ नहीं यह उसका मतलब नहीं हो सकता | एक दम से बिगड़ कर बोलीं-- मतलब नहीं हो सकता । साफ यही मतलब था । मैं तो यह पूछुती हूँ कि झाखिर वह कौन सी बारें दैं जो बीवियों से छिपाकर आप लोग करना चाहते हैं श्रौर बीबियों की चजह से ऐसे मजबूर हो गये कि श्रीवियाँ बवाल बन कर रह गई हैं । सिनेमा जाने के लिये मैं खुद श्रापसे कहती हूँ कि चलिये सिनेमा हो आयें । पिकनिक दोस्तों की दावतें सेर सपाटे सभी कुछ तो होता रदता है | मैं हर बात का खुद खयाल रखती हूँ मगर साइबर इस पर भी कहा जाता है कि बीबी से दबे हुए हैं बीवी के क्रेदी हैं भीवी बाँध कर रखती है । श्राखिर यह बीवी का रोना क्‍यों रोया जाता है ? वूफ़ान शुरू शो चुका था । ऐसे तूफान का हमारा जैसा मद कहाँ मुक्कानिला कर सकता था । इससे समझ से काम लेकर उस बिफरी हुई शेरनी का हाथ मुदब्बत से पकड़ कर कहा-- तो क्या मैं भी के दूसरे म्दों की तरद हूँ क्यों £ श्द्




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