कहानियां | Kahaniyan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
292
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)साशा दरवाज़े पर ममूदार हुझ। उसने बोदका का एक गिलास पहले
ही चढ़ा रपा था और काफ़ी सहूर में था।
“अच्छा ! तू भझ्रभी से घुत्त हो गया है, शेतान! थोड़ो देर भी
इन्तज़ार नहीं कर सकता या! जाझो झौर ब्लूहर को खाना खिलाप्रो !”
“खाये चिना यहु भरेगा नहु, देषिये तो कितना चिकना टो रहा
है,” साशा ने कुत्ते फो थपयपाते हए कहा ।
“ यकवक नहीं करो! जाओ, इसे खाना खिलाशो।”
পক্সাঘ্কী भो बस श्रपने कु्ते की हो फ़िक्र रहतो है। भ्रगर नोकर
एक गिलास पी लेता है तो श्राप उस पर बरसने लगते हूँ।”
“ घ्बरदार , में मुंह तोड़ दूंगा |” काऊंट ने ऐसी झावाज्ञ में चिल्लाकर
कफहा कि पिड़कियों के शोशे हिल उठे झ्ौर घुड़सेना का झ्फ़्तर भी सहम
गया।
+भुझसे भी पृष्टा होता फि साशा, ष्या तुमने फुछ खाया है। लीजिये,
अ्रगर झापको इन्सान से कुत्ता ही ज्यादा श्रोत है तो तोड़ दौन्वि मेरा
मुंह, लगाइये मेरे मुंह पर...” साशा ने कहा। मुंह से थे शब्द निकलने
की देर थी कि उसको नाक पर ऐसा धूंसा पड़ा कि उसका सिर दीवार
से जा टकराया और बहु नीचे भिर पड़ा। दूसरे क्षण वह् उठा प्रर नाक
पर हाथ रखें, भागता हुआ्ला कमरे में से निकल गया श्रौर बरामदे में जाकर
एक सन्दुफ पर लेट गया 1
“मालिक ने मेरे दांत तोड़ डाले हैं,” एक हाथ से भ्रपनी नाक से
बहता खू,न पोंछते भोर दूसरे हाथ से ब्लूहर की पोठ खुजलाते हुए साशा
बड़बड़ाया। न्तूह्र श्रना बदनं चाट रहा था! “देखते हो , ब्लूहर, मालिक
मे मेरे दांत तोड़ डाले हूँ, पर कोई बात नहीं, फिर भी थेह मेरा फांट
है, में उसकी छ्ातिर श्राग-पानो में कूदने के लिए तेयार हूं। मे सच फहता
हि, ब्लूहूर, क्योंकि वह मेरा काउंट है। तुम्हें भूख लगी है, ष्मा?“
कठ देर तक वह् वहां लेया रहा, फिर उठा, छते फो खिलाया
प्रौर काउंट को ख़िदमत करने , उसके लिए चाय पहुंचाने चल दिया। उस
ववृत तक उसका नशा लगभग उतर चुका या!
“इसे मे श्रपना अ्रपमान समझूंगा,” बड़े दयनीय स्वर में घुड़सेना
का अफ़तर काउंट से कह रहा था। फाउंट श्रफसर के विस्तर प्र लिटा
अपने पांव पलंग के चौखटे पर फंलाबे हुए था। “आज़िर में भी एक पुराना
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