ज्योतिष और आधुनिक विचार-धारा | Joytish Or Adhunik Vichardhara
श्रेणी : ज्योतिष / Astrology
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
190
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
ओम प्रकाश कहोल - Om Prakash Kahol
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अवतरणिका - ५
अनुभवों के आधार पर समझाने का यत्न करता है। किन्तु
आज, जसा किं जीन् कहते हं
हमें यह दिखाई देने छग गया है, कि मनुष्य से
पहली भूल तो मानवीकरण को यह हुई, कि उस ने समझा
प्रकृति के कामों में भी उसी प्रकार उच्छल्ललता और
अकारणता है, जिस प्रकार उस के अपने मन के विकारों
की उत्पत्ति में। यह था प्रेत-निष्ठ यंग का दृष्टिकोण
(80170197)1 इस से छुटकारा पाया तो वह एक
दसरी प्रकार की मानवीकरण की भूल (21 11170190170121)10
०८7०7) में उल्झ गया, और নু অলজল ভা কি সন্ধতি
के काम करने के साधन उस के अपने दारीर के साधनों--
स्नायु ओर पट्ढो-केसे हुं! यह् था यान्विक-दुष्टि-कोण
1८095111) |
यह ध्यान देने योग वात है, कि आज कल के वैज्ञानिकों
की समझ भी उसी भूल के चक्कर में पड़ गई है, जिसका आरोप
जीन्थ्ं महोदय ने प्रेत-निष्ठों और यन्त्र-निष्ठों पर लगाया है।
प्रेत-निष्ठ ओर यन्त्र-निप्ट कु कृ वसे ही आचरण करते
रहे हँ जसे छोटा वच्चा, अथवा विचार-हीन जांगली । उसी
प्रकार आधुनिक वैज्ञानिक ने अपने उपकरणों और न्लानेन्द्रियों
द्वारा संचित ज्ञान के आधार पर एक संसार खड़ा कर रखा है
जो कि केवल मात्र अन॒मानों पर आधित है। एक वैज्ञानिक
समझता है, कि जिस यक्ति से उस का समाधान नहीं होपाता
तदेवे ।
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