सामाजिक ज्ञान की सरल रूप रेखा | Samajik Gyan Aur Saral Roop Rekha

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Book Image : सामाजिक ज्ञान की सरल रूप रेखा  - Samajik Gyan Aur Saral Roop Rekha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ६ ) में बहुत परिवर्तन हुये, आज कल रेज्ञ गाड़ियों से कई प्रकार की सुविगाष प्राप्त हैं भापके इृल्जन भारी होने के कारण पेद्टोज्ल से चलने वाले हलके উতলা का श्राविष्कार किया गया । सन्‌ ५८६१ में पेट्रोल से चलने वाली पहिल) गाडी चनी 1 १६१९ में बहुत थोडी गादिया थीं । धीरे-बोरे इनकी सख्या में वृद्धि होती गई | न्राज कल सोटरें १०० मांल प्रति घण्टा की गति से चली थे | इस प्रकार स्थकू यातायात के साधत विफास करते आये हैं । ओर इनमें श्ागे भी विकास की सम्भावना है । प्रारम्भ में वेज्ञानिकों को पड़ी कठिनाइयों का सामना करना पडा । लोग इन प्ाविष्कारों से दरते थे। पेरिस में एक कठिनाइया और. वार भाप का इज्जञ़न फट गया जो ट्रेवेथिक ने बनाया उन पर विलय था| इस घटना से लोग भाप से दरने लगे और फ्रास में इसकी प्रगति बन्द हो गई । इसके प्रति- चित्ति कुष्ठ ऐसे लोग थे जिनझे स्वार्थो को दहन आविएण्कारों से देख लगठी थी বল্হান ভল अआाविप्द्ारों का पढ़ा विरोद किया | कई वनानिकाकोतो श्रपनी जान वदा कर भाग जाना पढा। वीरे-योरे लोग समझने लगे श्रौर वज्ञानिकों के धर्य तथा साहस ने प्रन्त में इन कठिनाइयों पर विजय पाई और यह सब साधन झाज्ञ हम देख सके । प्रश्न ८ जल यातायात के विकास की कहानी सक्तेप से लिगिये। आधुनिक जहाजों के वनने से सामाजिक जीवन में कया परि- चतेन हुआ १ उत्तर--याठायात के लिये नदी का उपयोग करना सनुप्य ने बहुत पहिले सीख तिया था । ढकडी के लट्ठों को जोड के जल यातायात বশ্তা बनाया जाता था। दिन्तु यह या तो पानो के बहाव के साथ चल सकता था या पाल यान्घकर हवा की दिशा की थोर चलन सझता था । प्रनुरुज्ञ वायु न रहने से नाव रुक जाती थी | इस समस्या वा हल भाप के इक्षन से प्रा क्षिया गया और नाथें दृष्छित दिशा दी भोर चलाई जा सी ।




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