रत्नसार | Ratnsaar

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Ratnsaar by ताराचंद जी निहालचंद - Tarachand Ji Nihalchand

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ন্‌ ६9 ९५ ९६ ९७ ५८ ९५. 1 विषयानुक्रमणिका ॥ (९) विषय प्रष्ठ समखूपैछे कि विषम स्पै? ६२्‌ सिद्ध ने जीव कहिये ते कुण हेतु ? क्र 4 कर्मं मध्ये ठेदया किह कर्मं मध्ये ? वीस विहरमान जिन तथा जधन्य काले केतला तीर्थकर होइ ? ६३ चक्रवाि नँ १४ रतन किहा ऊपजे ? ६७ नव निधान किहा प्रगटे ! पभु जिहा पारणो करें तिहा केतली वृष्टि होइ १ चउद्‌ विद्या ना नाम पच प्रस्थाने आत्मा ते पंच्रस्थान कहा? चीजु गुण रथान चटता पडता किम्‌ आये ? ६२ 9१ १०० समोदया असमेोहिया मरण तेने




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