दद्रु - चिकित्सा | Dardu-chikitsa
श्रेणी : आयुर्वेद / Ayurveda, स्वास्थ्य / Health
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.75 MB
कुल पष्ठ :
116
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)थु हि...
प्झ्ल्ः
जाता है। इसलिये सबसे उत्तम उपाय तो यद्द है कि फिसी दूसरे
के कपड़ों को कदापि अपने शरीर पर न घारण करें, और यदि
ऐसा प्रसद्ध आ ही जाय, तो बहुत दी सावधानी से काम में लाएँ ।
दूसरों की धघोती, लैंगोट, टोपी, कुरते ादि पहन लेने की जिन्हें
आदत होती है, उन्हें प्राय' दाद हो जाया करता दै;; क्योंकि कभी-
न-कभी तो 'मसावघानी से दादवालों के कपड़े पहन दी लिये
जाते हैं। वदन पॉंछने के 'मैंगोछे, ट्वाल, रूमाल बगैर” कभी दूसरे
मनुष्य के अपने काम में नद्दीं लाने चाहिएँ । इससे दाद दी नदी ,
चटिक अनेक रोगों से रक्ता होती दै ।
(वख्र ढीछे पहनने चाहिएँ । तट्न-चुस्त कपड़े भी ढाद की बीमारी
उत्पन्न करते हैं [तह कपड़ों से पसीना ज्यादा आता है. श्गीर
पसीना, मैल एवं कपड़े की गन्दगी दाद पैदा करते हैं । अतएव
कण्ड़े सदैव इतने ढीछे पददनने चादिएँ कि शरीर में दवा अच्छी
तरह लगती रदे । झाजफल फैशन वन गया है कि लोग 'छाव-
श्यकता से कहीं ्धिक कपड़े पहनते हैं । 'ाप, लोगों को ध्यान-
सूवेक देखेंगे तो चार-पाँच मनुष्यों के पदनने योग्य कपड़े एक
्यादमी के शरीर पर लदे पाएँगे । यद्द ठीक नद्दीं है । वख्र कम-
से-कम उतने दी पहनने चाहिएँ, जितने--श्रीष्म; शीत और
व्यों ऋतु के हानिकारक प्रभावों से शरीर की रक्षा कर सकें ।
गर्मी के सौसम में शरीर पर ४ । ५ वख्र लादकर निकलने की
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