सामान्य शिक्षण सिध्दान्त तथा विधियां | Samany Shikshad Sidhdant Tatha Vidhiyan

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Samany Shikshad Sidhdant Tatha Vidhiyan by निरंजन कुमार सिंह - Niranjan Kumar Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(४; ` विश्वास है कि दोनों सहयात्रियों में शिक्षक की प्रधानता सदा रही है ओर सदा ` बनी रहेगी | 1 शिक्षक की महत्ता, उसके गुण एवं कर्तव्य के संबंध में थ्रागे विस्तार से ... लिखा गया है। द शिक्ता्थी ५ ৪7578872815 ১: গ্লাস কী शिक्षा को बाल ঈল্িন (0110 6६५६८४८८) श्रथवा स्टेनली जी द हज ५. हाल क सन्दा म (7 ১10006171110) शिक्षा की संज्ञा प्रदान की गई है } यह सर्वमान्य विचारदै कि शिक्ञार्थी री शित्ताकाकन््है) उपीके विकास केलिए शित्ताकासास श्रायोजन किया जाता है। आधुनिक शिक्षा शाख्र के जनक जोन जेक रूसो का कहना था कि बालक की आवश्यकता, स्वाभाविक प्रवृत्ति एवं विकास की श्यवस्थाश्रौके अनुकूल शिक्षण प्रकिया श्रायोजित होनी चाहिए | प्रकृति उसका _ ... सबसे बड़ा शिक्षक है । कोमेनियस का कथन था कि बालक को शिक्षण के अनुकूल... अनाने की जगह शिक्षण को बालक के अनुकूल बनाया जाय |“ रूसो के पश्चात्‌ जो मी... शिक्षण प्रणालियाँ विकसित हुई' उन सभी में बालक को ही शिक्षा का केद्ध माना *« ` .. गया | इसीलिए अब यह शिक्षक के लिए. आवश्यक हो गया है कि वह बालक का... भी श्रध्ययन करें। यदि श्याम को संगत पदानी है तो संस्कत के ज्ञान के साथ-साथ रे कर श्याम का भी ज्ञान होना चाहिए, | शिक्षा को दृष्टि से बालक को जानना एक विशेष अर्थ रखता है । इसका... ` श्रथं उसके वाह्य रूप, रचना, नाम ओर आकृति आदि से नहीं बल्कि उसकी आंत- _रिक्र शक्तियों से है। बालक के व्यत्रद्वारों ओर क्रियाओं का अध्ययन, मानसिक _ शक्तियों का अध्ययन, नैसगिक प्रवृत्तियों, संवेगों और मनोभावों, रुचियों एवं सीखने. 4 की प्रकृति का अध्ययन ही बालक को जानने का वास्तविक तादर्य है। इसीलिए... श्राज को शिक्षा का दृष्टिकोश सनोवेज्ञानिक हों गया है | अब शिक्षा का स्वरूप बालक. के विकास की दृष्टि से ही निरूपित क्रिया जाता है। उसकी जिज्ञासा कों जगाना, ` 061৮0 01011615115 1003 712500 আ০ 02900000660 20৫ 21255. 11] 101010066 019 5100200, 44721750005 105৩610010905 টা. ध 0८९4. फू. जज 70800 ত8 উ এত | आगे अध्याय ३... ज { स তিল




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